"भारतीय ज्ञान परंपरा को पूरा विश्व स्वीकार करता है। ध्यान योग आयुर्वेद यही तो भारतीय ज्ञान परंपरा है जिसके द्वारा पूरा विश्व शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य प्राप्त कर रहा है जबकि हम भारतीयों ने ही उसे पिछड़ेपन का प्रतीक मानकर पाश्चात्य की ओर देखना शुरू कर दिया। यही हमारी सबसे बड़ी भूल थी। लेकिन अब एक बार फिर उन स्वस्थ पारंपरिक मूल्यों की ओर बढ़ रहे हैं। आज हम जिस डिबेट और ग्रुप-डिस्कशन की बात करते हैं वही तो प्राचीन भारत में शास्त्रार्थ था। तीन शब्द होते हैं- लिटरेट एजुकेटेड और कल्चर्ड - लिटरेट, एजुकेट और कल्चर्ड। साक्षर, शिक्षित और संस्कारित। रावण हाईली एजुकेटेड था, परमज्ञानी था लेकिन कल्चर्ड नहीं था। कल्चर्ड होता तो सीता का अपहरण नहीं करता। कल्चर्ड अर्थात संस्कृतिवान होना... और संस्कृतिवान होना अर्थात संस्कारवान होना। अच्छे संस्कार वहां होना भी उतना ही जरूरी है जितना ज्ञानवान होना।" मुख्य अतिथि के रूप में मैंने अपने विचार व्यक्त किए।
🚩अवसर था शासकीय दीनदयाल उपाध्याय आर्ट एंड कॉमर्स कॉलेज सागर में उच्चशिक्षा विभाग मध्यप्रदेश शासन भोपाल द्वारा प्रायोजित भारतीय ज्ञान परंपरा प्रकोष्ठ के अंतर्गत आर्ष भारत एवं भाषा सत्याग्रह के उद्घाटन सत्र का। जिसमें प्रथम आयोजन था जिला स्तरीय भाषण प्रतियोगिता का जिसमें जिले की विभिन्न महाविद्यालयों की छात्र-छात्राओं ने भाग लिया। छात्र-छात्राओं के उत्साह को देखकर मुझे भी अपने कॉलेज के दिन याद आ गए जब मैं भी इस तरह के आयोजनों में प्रतिभागी के रूप में शामिल होती थी। एक सुखद अनुभव।
🙏 हार्दिक आभारी हूं डॉ. सरोज गुप्ता की जो महाविद्यालय की विदुषी प्राचार्य हैं, जिन्होंने मुझे बतौर मुख्य अतिथि आमंत्रित किया और विद्यार्थियों से संवाद का अवसर दिया। 🚩
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(09.12.2024)
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