मेरे बुंदेली गजल संग्रह के लोकार्पण के दौरान श्यामलम संस्था ने मुझे अभिनंदन पत्र, शाल और श्रीफल प्रदान कर सम्मानित किया ... मैं हृदय से आभारी हूं श्यामलम संस्था की... आभारी हूं संस्था के अध्यक्ष उमाकांत मिश्रा जी की, संरक्षक डॉ. सुरेश आचार्य सचिव कपिल वैसाखिया की 🙏
श्यामलम संस्था द्वारा मुझे प्रदान किए गए अभिनंदन पत्र का मूल पाठ यहां प्रस्तुत कर रही हूं जो बुंदेली में है। इसमें बुंदेली का भाषा सौंदर्य और समूचे बुंदेलखंड की आत्मीयता समाई हुई है ... आप भी इसका रसास्वादन करें 🙏 🎉⤵️
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अभिनंदन पत्र
डॉ. (सुश्री) शरद सिंह
वरिष्ठ साहित्यकार, कवयित्री
बुन्देली माटी की साँची बिटिया डॉ. सुश्री शरद सिंह की सम्मान करत भये हम सबई जनन खों भौतई खुसी हो रई है।
बिन्ना नें 'पिछले पन्ने की औरतें', 'पचकौड़ी', 'कस्बाई सीमोन, 'शिखंडी' जैसीं मुतकी किताबें लिखकें बुंदेलखंड और अपने सागर को खूबई नाम देस भर में करो है।
बिन्ना नें खजुराहो की स्थापत्य कला विषय पे शोध करकें डिग्री पाई है। साप्ताहिक समाचार पत्र 'प्रवीण प्रभात' में बुंदेली कॉलम 'बतकाव बिन्ना की' तो लिखतई हैं, आचरण, भास्कर, नया दौर जेंसे पेपरों में सोई इनके लेख छपत रैत हैं।
आज लोक खों अर्पन भई इनकी बुंदेली गजलों की किताब "साँची के रए सुनो, रामधई!" बुंदेली भासा के बिकास और ऊके लानें आपके पिरेम खों दरसाउत हैं।
सो ऐसी सेवाओं खों देखत भये हम सबजनन खों आज बिन्ना डॉ. सुश्री शरद सिंह कौ सम्मान करकें भोतई गरव और खुसी हो रई है।
श्यामलम् परिवार कामना करत है कै परमात्मा इनें लम्बी उमर देत भए जिन्दगानी भर सुखी राखें।
शुभकामनाओं सहित सादर !
तिथि : अगहन सुदी पूनै, सम्वत् २०८१, रविवार
तारीख - १५-१२-२४
उमा कान्त मिश्र
अध्यक्ष श्यामलम
डॉ. सुरेश आचार्य
संरक्षक श्यामलम
कपिल वैसाखिया
सचिव श्यामलम
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श्यामलम् कला, साहित्य, संस्कृति एवं भाषा के लिए...
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