Saturday, February 22, 2025

टॉपिक एक्सपर्ट | पत्रिका | अगर अबईं से पानी ने बचे हौ, सो बाद में अच्छे से पता परहे | डॉ (सुश्री) शरद सिंह

पत्रिका | टॉपिक एक्सपर्ट | डॉ (सुश्री) शरद सिंह | बुंदेली में
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टाॅपिक एक्सपर्ट
अगर अबईं से पानी ने बचे हौ, सो बाद में अच्छे से पता परहे
- डॉ (सुश्री) शरद सिंह
      ई दार ठंडी पड़ई-सी लौं नइयां। ने तो हीटर चले, ने ब्लोअर चले, औ तो औ घाम लेबे के दिन सोई कम रए। कछु गरम कपड़ा तो छूंछे से रए गए। उने तो बाहरे की हवा लौं ने लग पाई। सब जने जेई कैत फिर रए के ई दार जड़कारो सिकुड़ गओ। पर कोनऊं ने जे सोची के जो ऐसो काए भओ? सई टेम पे ठंड ने परे, औ ऊपे मुतकी ठंड ने परे तो जे सोचबे वारी बात आए। जे कोनऊं अच्छे लच्छन ने आएं। जेई तो आए क्लाइमेट चेंज को असर। ई दार खीबई गरमी परहे। जे खाली हम नोंई कै रए, मौसम विभाग वारे सोई कै रए। अब आप कैहो के मौसम विभाग वारन के तो मुतके चुटकुला चलत आएं। बे बोलहें के जोर को पानी गिरहे, सो सबरे बदरा अपनों बोरिया-बिस्तर बांध के निकल लेत आएं। मनो क्लाइमेट चेंज के मामले में ऐसो नइयां। दुनिया भरे के वैज्ञानिक बी जेई कए रए के जलवायु बदल रई। औ कोनऊं के कैबे की का, अपन ओरें खुदई देख रए।
   अब सोचबे वारी बात जे आए के अपन ओरें कित्ते चौकन्ना आएं? का अपन ने सोची के ई दारे जो खीबई गरमी परहे सो, पानी की कमी सोई हुइए। औ दसा जे आए के टाटा के नल की पाईपें जां-तां खुली डरीं। नल चलत टेम पानी बगरत रैत आए। मने, जित्तो पानी पियत को काम नईं आ रओ, उसे ज्यादा बगरो जा रओ। पानी की ऐसी बरबादी से हुइए का, के जबे गरमी परहे तो राजघाट में पानी छोटन लगहे। सो, अबईं से पानी ने बचेहौ, सो बाद में पता परहे। अबे फिर बी टेम आए, समै रैत मरम्मतें कर लई जाएं, तभई पानी बचहे।
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