Sunday, May 14, 2023

काव्य के शिल्प और विचार पक्ष दोनों में संतुलन होना आवश्यक होता है। - डॉ (सुश्री) शरद सिंह

"कवि अंबिका यादव की कविताएं वैचारिक अनुष्ठान रचती हैं। इन कविताओं का वैचारिक पक्ष बहुत अधिक मजबूत है, वह पढ़ने वाले को आंदोलित करता है और सोचने को विवश करता है। काव्य के शिल्प और विचार पक्ष दोनों में संतुलन होना आवश्यक होता है। "आसमानों से आगे" संग्रह की कविताएं परिपक्व कविताएं हैं।" - मुख्य अतिथि के रूप में मैंने (डॉ सुश्री शरद सिंह ने) अपने ये विचार व्यक्त किए। अवसर था पाठकमंच, श्यामलम तथा इंकमीडिया की सहभागिता से कवि अंबिका यादव की प्रथम काव्य कृति "आसमानों से आगे" के विमोचन का। 
  🚩कार्यक्रम की अध्यक्षता की डॉ श्रीमती सरोज गुप्ता ने तथा  विशिष्ट अतिथि थे डॉ.हरि सिंह गौर विवि में सह-ग्रंथपाल डॉ. संजीव सराफ एवं समाजसेवी डॉ डी पी चौबे। 
   🚩 श्यामलम अध्यक्ष श्री उमाकांत मिश्र जी ने कार्यक्रम का परिचय दिया तथा पाठक मंच सागर इकाई के अध्यक्ष श्री आर के तिवारी जी ने स्वागत भाषण दिया। कार्यक्रम का सफल संचालन किया डॉ प्रदीप पाण्डेय ने तथा आभार प्रदर्शन किया इंक मीडिया के डॉ आशीष द्विवेदी जी ने।
  🚩 दीपक होटल के सभागार में आयोजित इस समारोह में दादा लक्ष्मी नारायण चौरसिया, श्री हरिसिंह ठाकुर, रमेश दुबे, शिवरतन यादव, प्रो. के कृष्णाराव, डॉ आर आर पाण्डेय,आशीष ज्योतिषी, डॉ गोविंद यादव, डॉ जी एल दुबे,श्री हरि शुक्ला,श्री कपिल बैसाखिया,  डॉ आनंद मंगल बोहरे, डॉ सर्वेश्वर उपाध्याय,  श्री आदर्श दुबे, डॉ. अतुल श्रीवास्तव,श्री दामोदर अग्निहोत्री, सुश्री दीपाली गुरु,श्रीमती मीनाक्षी यादव, श्रीमती सरिता यादव,श्रीमती ममता भूरिया आदि बड़ी संख्या में सुधिजन उपस्थित रहे।
(13.05.2023)
🌹हार्दिक आभार श्यामलम 🙏
🌹हार्दिक आभार पाठक मंच 🙏
🌹हार्दिक आभार इंक मीडिया 🙏
(14.05.2023)
✍️हार्दिक आभार दैनिक भास्कर 🙏
✍️हार्दिक आभार पत्रिका 🙏
✍️हार्दिक आभार आचरण 🙏

No comments:

Post a Comment