Wednesday, May 3, 2023

मेरी प्यारी दीदी डॉ. वर्षा सिंह की द्वितीय पुण्यतिथि - डॉ (सुश्री) शरद सिंह

दुनिया की सबसे अच्छी मेरी प्यारी दीदी ❤️
आज पूरे 2 साल हो गए तुम्हारे बिना...
  😔वह 28 अप्रैल 2021 की बदहवास काली रात का अंतिम पहर... घर से बुंदेलखंड मेडिकल कॉलेज तक के घबराए हुए एक-एक पल... मुझे नहीं मालूम था कि जिस रास्ते से मैं तुम्हें ले जा रही थी... लौटा कर कभी नहीं ला सकूंगी... मुझे नहीं मालूम था कि मेडिकल कॉलेज के कोविड वार्ड के जिस बंद ग्रिल के पीछे तुम्हें छोड़ रही हूं, उससे बाहर ला कर कभी घर नहीं ले जा सकूंगी... मुझे नहीं मालूम था कि तुम्हें ऑक्सीजन मिल गई है यह मेरी तसल्ली 03 मई 2021 की तारीख़ लगते ही, हमेशा के लिए टूट जाएगी... 💔
     आज भी उस रास्ते से गुजरती हूं तो मन में टीस उठती है ... शिक़ायत करती हूं कठवापुल वाले हनुमानजी से कि उन्होंने मेरी प्रार्थना क्यों नहीं सुनी ?... अब मैं उनके आगे सिर नहीं झुकाती हूं, उनसे कुछ नहीं मांगती हूं क्योंकि जो मांगा वह दे ही नहीं सके... तो अब मांगने को बचा ही क्या है? तुमसे बढ़कर तो इस दुनिया में मेरे लिए कुछ भी नहीं, जिसकी मुझे चाहत हो..❤️
 .... अगर यह सच है कि मरने के बाद लोग भगवान के पास जाते हैं तो मुझे उस दिन का बेसब्री से इंतज़ार है जब मैं भगवान के सामने खड़ी होकर उनसे पूछूंगी कि उन्होंने तुमको मुझसे क्यों छीना? ( यद्यपि हर वधिक यही कहता है कि मैंने वध नहीं किया) फिर भी पूछूंगी जरूर 😔🤨😥
   दीदी, तुम्हीं तो मेरी ख़ुशी थीं, हंसी थीं, मेरी हिम्मत थीं... लोग जलते थे न हमारे बहनापे से, हमारी जोड़ी से... बेशक़ आज वे तुम्हें अपने बीच न पा कर मन ही मन ख़ुश हैं... लेकिन उन्हें पता नहीं कि तुम तो मेरे वज़ूद का हिस्सा हो... जब तक मैं हूं उनकी यह ख़ुशी खोखली रहेगी... उनकी ईर्ष्या की आग उन्हें जलाती रहेगी... ताज़िन्दगी !!!
   मेरे मन में उन ईर्ष्यालुओं लिए बदले की भावना नहीं है लेकिन उनसे नफ़रत जरूर है... क्योंकि इन 2 वर्षों ने ज़िंदगी के और भी कई चेहरे दिखा दिए हैं जिन्हें देखकर न चाहते हुए भी, उन सब से नफ़रत होने लगती है जो दूसरों की मजबूरी का मजाक़ उड़ाते हैं या दूसरों की मजबूरी को देखते, समझते हुए भी उनसे ईर्ष्या रखते हैं...
    लेकिन दीदू ! जो तुम्हें पहले प्यार करते थे, आज भी वे सभी लोग तुम्हें याद करते हैं और वे सब चाहते हैं तुम्हें ठीक पहले की तरह..🌹
     दीदू ! तुम आज भी मेरी ताक़त हो... तुम्हें मुझसे कोई अलग नहीं कर सकता है, इंसान तो नहीं ही!... मेरी हर हंसी में तुम्हारी हंसी शामिल है... मेरी हर मुस्कुराहट में तुम्हारी मुस्कुराहट शामिल है... मेरे हर पल में तुम्हारी मौज़ूदगी है...
      दीदू, जिंदगी की तमाम मुश्किलों से तुमने कभी हार नहीं मानी... मैं भी हार नहीं मानूंगी... क्योंकि मैं जानती हूं तुम मेरे साथ हो हमेशा... 
    और हां दीदू, सच बताना कि क्या तुमको पूर्वाभास था कि एक दिन मैं अकेली रह जाऊंगी... क्योंकि जब मैं तुम्हारे सामने कभी रोने लगती थी तो मेरे आंसू देखते ही तुम भी रोने लगती थीं  और तुम्हें रोते देख कर मुझे अपना रोना बंद करना पड़ता था अपने आंसू पोंछ लेने पड़ते थे ... मैं झुंझलाकर कहती थी कि "मुझे रोने भी नहीं देती हो !" ... अब, आज जबभी मुझे रोना आता है तो डर लगता है मेरा रोना देखकर तुम भी रो पड़ोगी...और मैं दिल पर पत्थर रखकर अपने आंसुओं को रोक लेती हूं... दीदू,  क्या तुम्हें पता था कि मेरी जिदंगी में वह दिन आएगा जब मेरे आंसू पोंछने के लिए तुम्हारे हाथ मेरे पास नहीं होंगे... क्या इसीलिए तुमने अपने अनूठे तरीके से मुझे रोने से हमेशा रोका ...
 तुम्हारे बिना होना बहुत कठिन है ... फिर भी हूं ... पता नहीं क्यों ???
Love you Didu ❤️ Love you हमेशा... बहुत ज़्यादा 👩‍❤️‍👩

(Dr Varsha Singh  29.08.1958 - 03.05.2021 ) 
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