आज "राजस्थान पत्रिका" के सागर संस्करण "पत्रिका" में "एक्सपर्ट व्यू" में बुंदेली में प्रकाशित हैं मेरे व्यूज़ 😊
हार्दिक धन्यवाद पत्रिका 🙏
हार्दिक आभार सुश्री रेशू जैन🙏
हार्दिक आभार संपादकीय प्रभारी ब्रजेश कुमार तिवारी जी 🙏
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एक्सपर्ट व्यू
इते तो सब कछू चाउने
- डॉ (सुश्री) शरद सिंह
आज हमने सोची के तनक गिनो.जाए के अपने इते सागर शहर में काए-काए की कमी आए औ का-का चाउने? अब अपन तो ठैरे लिखबे-पढ़बे वारे, सो, उतई से सोचबो शुरू करी। हमें समझ में आई के, एक समै रओ जब इते साहित्य औ संस्कृति के भौत कार्यक्रम होत्ते। फेर कछू ऐसो भओ के सब कछू ठंडो पर गओ। फेर आई इते श्यामलम संस्था। फेर तो जो अलख जगी, के ने पूछो। आज जे दसा आए के कभऊं-कभऊं एक दिनां में दो-दो, तीन कार्यक्रम हो जात आएं। मनो दिक्कत जे आए के इत्ते बड़े शहर में कोनऊं ऐस जांगा मने हॉल-वाल नईयां, जां साहित्यकारों खों किराया ने देने परे। अब लिखबे खों तो सबई लिखबे वारे अच्छो-अच्छो लिखत आएं, मनो सब इत्ते पईसा वारे नोईं के अपनो पईसा दे के कछू गोष्ठी-मोष्ठी करा सकें। जो कोनऊं पैचान वारो दया-मया कर देत आए, सो ठीक, ने तो मन मसोसे कोनिया में डरे रैत आएं। सो, इते शहर में एक ठईयां टाउनहॉल चाऊने। जो कोनऊ जनप्रतिनिधि बनवा देबे सो ऊके लाने सबरे गरीब-गुरबा साहित्यकार दुआ करहें के ऊको अगली चुनाव में टिकट जरूर मिले।
बाकी अब आप कैहो के रवीन्द्र भवन औ पद्माकर ऑडीटोरियम सो ठाड़ो आए, उते जाए में कोन परेशानी आए? सो, परेशानी जे के ईत्ते बड़े हॉल में गोष्ठी करी जाए, सो श्रोता हरें ए-4 के लिफाफा में सिंगल टिकट घांई चिपके दिखेहें। औ जोन को ऊ हॉल को किराया भरने परहे, बा तो आड़ो डरो दिखेहे। सो, इते सो-दो सौ जने जोग हॉल बनवा दे कोनऊं सो, लिखबे वारन को बड़ो भलो हो जाए। बाकी उने ऐसे तो कोनऊं पूछत नईयां।
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08.09.2023
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