"ज़िंदगी को पढ़ रही है,आज की बेटी।
इक नया युग गढ़ रही है आज की बेटी।"
"यदि हम प्राचीन भारत से लेकर आज तक की स्थितियां में तुलना करें तो बेटियों के लिए आज जितने अवसर उपलब्ध है उतने पहले कभी नहीं थे।" - आज भारतीय ज्ञान परपरा के अंतगर्त बालिका दिवस पर शासकीय स्वशासी कन्या स्नातकोत्तर उत्कृष्टता महाविद्यालय, सागर (Grade "A" by NAAC) में मैंने विशेष व्याख्यान दिया। विषय था "बालिकाओं के अधिकार प्राचीन एवं वर्तमान परिदृश्य"।
🚩 सच पूछा जाए तो यह मेरा पसंदीदा विषय है। क्योंकि इतिहास मेरा हमेशा प्रिय विषय रहा है और बालिका विमर्श से मैं गहराई से जुड़ी हूं। अतः मैंने छात्राओं को तुलनात्मक स्थिति से अवगत कराते हुए इस बात पर गर्व करने का आग्रह किया कि वह एक ऐसे समय में है जब बालिकाओं को सबसे अधिक अधिकार प्राप्त हैं। सिर्फ जरूरत है उसे जानने, समझने और उसके आधार पर आत्मविश्वास बनाए रखने की।
🚩कार्यक्रम की अध्यक्षता प्रभारी प्राचार्य डॉ साहू जी ने की। इस आयोजन की संयोजिका एवं प्रभारी थीं डॉ. निशा इंद्रगुरु तथा सफल संचालन किया डॉ अंजना चतुर्वेदी तिवारी ने। डॉ रश्मि दुबे सहित महाविद्यालय के प्राध्यापक तथा छात्रों की उल्लेखनीय उपस्थिति रही।
🚩व्याख्यान के उपरांत महाविद्यालय की छात्राओं के उस दल को सम्मानित किया गया जिन्होंने राज्य स्तरीय नृत्य प्रतियोगिता में प्रथम स्थान प्राप्त किया है। महाविद्यालय की उस पूर्व छात्रा को भी सम्मानित करने का मुझे सुअवसर मिला जिसका हाल ही में पीएसी द्वारा जिला पंजीयक के पद पर चयन हुआ है। सचमुच बालिकाओं को इस तरह आगे बढ़ते और सफलता प्राप्त करते देखना बहुत अच्छा लगता है।
🚩 मैं आभारी हूं महाविद्यालय के सभी लोगों की जिन्होंने मुझे छात्राओं से संवाद का अवसर प्रदान किया।🙏😊
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