"आज की स्त्री किचेन से कलम तक की यात्रा में नए आयाम रच रही है " - डॉ. (सुश्री) शरद सिंह
दिनांक 16 जनवरी 2025 को विश्वविद्यालय के हिन्दी विभाग में "स्त्री लेखन : चुनौतियां एवं भविष्य "विषय पर व्याख्यान तथा कथा संवाद आयोजित किया गया, जिसमें मुख्य अतिथि के रूप में देश की प्रतिष्ठित हिंदी कथाकार, पर्यावरणविद् और आलोचक सुश्री डॉ. शरद सिंह उपस्थित थीं। कार्यक्रम का आरम्भ मां सरस्वती व डॉक्टर गौर के माल्यार्पण व सरस्वती वंदना के साथ हुआ । स्वागत वक्तव्य प्रोफेसर राजेंद्र यादव द्वारा दिया गया जिसमें उन्होंने सागर के साहित्यकारों को याद किया। डॉ. संजय नाइनवाड़ द्वारा मुख्य अतिथि का परिचय दिया गया। अपने व्याख्यान के दौरान डॉक्टर शरद सिंह ने स्त्री की चुनौतियों के बारे में कई बिंदुओं पर चर्चा की। उन्होंने कहा कि किसी भी स्त्री की किचन से कलम तक की यात्रा चुनौती भरी रहती है। इसी सन्दर्भ में उन्होंने अपनी माता से मिलने वाली प्रेरणाओं का भी उल्लेख किया । स्त्री - लेखन में सामने उपस्थित होने वाली प्रमुख समस्याओं को उद्धृत करते हुए उन्होंने पारिवारिक समस्याओं को बहुत गहरे अर्थ से रेखांकित किया। उन्होंने कहा कि स्त्री को स्त्री लेखिका के रूप में देखा जाए न कि केवल स्त्री के रूप में। भाषाई लिंगबोध के भेदभाव का भी उन्होंने जिक्र किया। अपने उद्बोधन के अंत में उन्होंने कहा कि समग्रता, समर्पण और विषय का पूरा ज्ञान साहित्य लेखन के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। उसके पश्चात उन्होंने "दमयंती आज भी उदास है" नामक कहानी का पाठ किया।
कार्यक्रम में विशिष्ट अतिथि के रूप में उपस्थित भाषा अध्ययनशाला की डीन प्रो. चंदा बैन ने अपने वक्तव्य में बुंदेलखंड के साहित्य के साथ-हिन्दी में राष्ट्रकवि मैथिलिशरण गुप्त द्वारा लिखित साहित्य पर बात की । कार्यक्रम में बतौर अध्यक्ष उपस्थित हिंदी विभाग के अध्यक्ष प्रो. आनंद प्रकाश त्रिपाठी ने अपने अध्यक्षीय वक्तव्य में हिंदी में चल रहे स्त्री लेखन और स्वानुभुति व परानुभूति पर बात रखी। कार्यक्रम का संयोजन व संचालन डॉ. हिमांशु कुमार ने किया औपचारिक आभार डॉ. अरविन्द कुमार ने दिया ।
कार्यक्रम में हिंदी विभाग के शिक्षक डॉ. अफ़रोज़ बेगम, डॉ.अवधेश कुमार, डॉ.लक्ष्मी पाण्डेय, डॉ. सुजाता मिश्र, श्री प्रदीप सौंर, इतिहास विभाग के अध्यक्ष प्रो. नागेश दुबे, संस्कृत विभाग से डॉ. शशिकुमार सिंह, डॉ. रामहेत गौतम, डॉ. किरण आर्या, भाषा विज्ञान विभाग से डॉ. बबलू रे, डॉ. अरविन्द गौतम, ईएमआरसी से माधव चंद्र तथा सागर शहर से श्री गजाधर सागर, टीकाराम त्रिपाठी, मनोहर सिरोठिया जैसे विद्वतजन उपस्थित थे। हिंदी और संस्कृत विभाग के सभी शोधार्थी-विद्यार्थी उपस्थित रहे।
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