Thursday, December 25, 2025

बतकाव बिन्ना की | जो साल बी ऊंसई-ऊंसई कढ़ गओ | डाॅ (सुश्री) शरद सिंह | बुंदेली कॉलम

बुंदेली कॉलम | बतकाव बिन्ना की | डॉ (सुश्री) शरद सिंह | प्रवीण प्रभात
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बतकाव बिन्ना की         
               
जो साल बी ऊंसई-ऊंसई कढ़ गओ                             
- डाॅ. (सुश्री) शरद सिंह

‘‘का सोंस रए भैयाजी?’’ मैंने भैयाजी से पूछीं। बे कुल्ल देर से कोनऊं सोंस-फिकर में डूबे हते। 
‘‘हम जा सोंस रए के जो साल बी ऊंसई-ऊंसई कढ़ गओ।’’ भैयाजी सोंसत भए बोले।
‘‘साल सो ऐसई कढ़त आएं भैयाजी, ईमें नओ का आए?’’ मैंने भैयाजी से पूछी। 
‘‘नईं ईमें नओ तो कछू नईं आए, मनो ऐसई-ऐसई जिनगी कढ़ी जा रई।’’ भैयाजी औ तनक गंभीर होत भए बोले।
‘‘हऔ सो? जिनगी को काम आए कढ़त चलने, सो बा कढ़त जा रई। ईमें आप, हम और कोनऊं के सोंसे का बदल हे। बा तो जब मानुस जनम लेत आए, ओई टेम पे ऊकी जिनगी को हिसाब-किताब तै हो जात आए। बस, अपन ओरें भर नईं जानत के कब का हुइए। बाकी जिनगी तै करबे वारो तै चुको होत आए।’’ मैंने सोई कई।
‘‘हऔ बिन्ना! ठीक कै रईं तुम। बस, सोेसबेई को फरक आए। ठीेक ऊंसई जैसे अपने इते जन्मदिन मनात टेम पे दिया बालोे जात आए के जिनगी को एक साल जो इते गुजर गओ ऊ तरफी बढ़ जाए, मनो उम्मर बढ़ जाए औ बिदेसी हरें मोमबत्ती फूंक के याद करत आएं के जिनगी को एक साल गुजर गओ, कम हो गओ। गिनत सबरे ऊ साल को ई आएं जो कम हो जात आए, बाकी सबई अपनों-अपनों तरीका आए।’’ भैयाजी बोले।
‘‘जा सब तो ठीक आए, बाकी आप कैबो का चा रए?’’ मैंने पूछी। काए से कछू ज्यादई फिलासफी हो चली हती।
‘‘हम जा सोंच रए के साल पे साल कढ़त जा रए औ का हम सई ढंग से जी पा रए?’’ भैयाजी ने कई।
‘‘का हो गओ जीबे में? ठीक-ठाक सो जी रए।’’ मैंने कई।
‘‘ठीक कां आए बिन्ना? हवा ठीक नइयां, पानी ठीक नइयां, मैंगाई कम होबे को नांव नई ले रई औ सुविदाएं सोई ठीक नइयां।’’ भैयाजी बोले।
‘‘हवा औ पानी की तो मैंने मानी के हवा बिगरत जा रई। पानी की बी मैंने मानी के बा प्रदूसित होत जा रओ, मैंगाई की बी मानी के ऊपे लगाम नईं लग पा रई, बाकी सुविदाएं ठीक नइयां जे समझ ने परी।’’ मैंने भैयाजी से कई।
‘‘तुमें कां से सुविदाएं ठीक दिखा रईं? जेई साल खों ले लेओ। सबसे ज्यादा गड़बड़ी तो स्वास्थ्य विभाग में दिखानीं।’’ भैयाजी बोले।
‘‘उते का भओ?’’ मैंने पूछ लई।
‘‘लेओ, तुम सोई पक्की पब्लिक आओ। जेई से, साल गुजरो नईं औ तुम पूछन लगी के स्वास्थ्य विभाग में का भओ। कित्ती कमजोर यादास्त आए तुमाई, बिलकुल पब्लिक घांईं।’’ भैयाजी बोले।
‘‘हऔ, सो का भओ? रोजीना के इत्ती सल्लें लगीं रैत आएं के का-का याद रखो जाए?’’ मैंने सोई भैयाजी से कई।
‘‘भौत पैले की ने जाओ सो पांछू दो-चार मईना की गिन लेओ। बा कफसिरप वारो कांड भूल गईं का? मुतके बच्चा मरे ऊमें।’’ भैयाजी ने याद कराई।
‘‘हऔ! सई कई आपने।’’
‘‘औ बा अस्पताल में नए पैदा भए बच्चों खों चोखरवन ने कुतर के मार डारो रओ।’’ भैयाजी बोले।
‘‘हऔ आप सई कै रए। कैबे को जे सारी जांगा स्वास्थ्य के लाने सुविदाएं आएं, मनो उते मौत बंटत आए।’’ मैंने भैयाजी की बात को समर्थन करो। बे सई कै रए हते।
‘‘औ बताएं, स्वास्थ्य विभाग की छोरो सो बा बच्चों खों दओ जाबे वारो दुफारी को भोजन खों देख लेओ। सरकार ने सो अच्छी सुविदा दई, बाकी ऊ सुविदा खों बांटबे वारे खुद मालपुआ सूटन लगे औ बच्चों खों कागज में पतरी दार परसन लगे। इत्तोई नोंईं बा भोजन बनाबे वारों में जिनको बनाबे को पइसा दए जा रए हते उनमें कछू काफी पैले स्वरग सिधार चुके आएं। मनो बे रोजीना स्वरग से आऊत्ते बच्चों के लाने भोजन पकाबे खों।’’ भैयाजी बोले।
‘‘आप सई कै रए भैयाजी! जे खऊआ हरें कभऊं नईं सुदर सकत। सरकार कित्तई योजनाएं चला लेवे, मनो ऊको चुूना लगाबे वारों की कमी नोंई।’’ मैंने कई।
‘‘औ का! अब तुमई देखो के एक तरफी अपन ने कित्ती तरक्की करी आए। कोनऊं-कोनऊं के लरका-बच्चा छै-छै मईना में नौकरी बदल रए। बे दो-दो ठइयां चार पहिया रखाएं औ दूसरी तरफी देखो तो उनकी कोनऊं गिनती नोंईं जोन खों एकऊ नौकरी नईं मिल रई। उनके लिंगे एक ठो दुपहिया बी नइयां। कछू पचाबे के लाने गोलियां खात आएं औ कछू के लाने खाबे को ई नइयां। सो जे सब का आए?’’ भैयाजी बोले।
‘‘जो जेई आए भैयाजी के जोन के मताई-बाप अपने बच्चा खों अच्छी स्कूल में पढ़ा सके, अच्छी कोचिंग दोआ सके, जोन के पास सोर्स-सिफारिस रई? डोनेशन के लाने मुतके पइसा रए उनके बच्चा रोजीना नौकरी-नौकरी खेल रए, मनो जोन के इते दो टेम भरपेट खाबे को नईं रओ बा कां से अच्छो पढ़ पातो? कां से कछू पा पातो? अपवाद तो दो-चार ठइयां ई रैत आएं बाकी तो मारे-मारे फिरत आएं।’’ मैंने भैयाजी से कई।
‘‘जेई तो सोसबे की बात आए बिन्ना के जे सन पचीस सोई कढ़ गओ मनो कछू बदलो नईयां। बाकी अगर कछू बढ़ो आए तो अपराध बढ़ो। लोहरी-लोहरी मोड़ियां बी सुरच्छित नोंईं, रेत माफिया, टोल माफिया औ न जाने कोन-कोन माफिया अपनी रंगदारी दिखात रैत आएं।’’ भैयाजी बोले।
‘‘मनो आप जे बी तो सोचो भैयाजी के पुलिस के हाथन में डंडा आए औ अपराधियन के हाथन में कट्टा-बंदूकें। फेर मंत्री, नेता हरों के आए दिन प्रोग्राम होत रैत आएं जीमें आधो हल्को तो उतई एक टांग पे ढाड़ो रैत आए। अब पब्लिक की रच्छा करबे को उनके पास टेम कां से आए?’’ मैंने कई।
‘‘हऔ सई कई बिन्ना। कायदे से तो अब जे आने वारे साल में ज्यादा से ज्यादा वचुअल कार्यक्रम होने चाइए। उते बटन दबाओ औ इते उद्घाटन हो गओ। ईसे सरकारी खरचा बी बचहे औ सरकारी अमला को टेम बी बचहे। काए सई कई के नईं?’’ भैयाजी बोले।
‘‘बिलकुल सई कई आपने।’’ मैंने कई।
‘‘औ का नए साल में कछू नए काम होने चाइए जोन से पब्लिक को पइसा बचे औ सुविदाएं बढ़े।’’ भैयाजी बोले। इत्ते में भौजी उते आ गईं।
‘‘जो नए साल को एजेंडा बाद में बनाइयो पैले जा के सपर-खोंर लेओ। आपको पानी ठंडो भओ जा रओ। हम बेर-बेर गरम ने करबी।’’ भौजी ने भैयाजी से कई। फेर मोसे बोलीं,‘‘औ सुनाओ बिन्ना, का चल रओ।’’
‘‘ई टेम पे तो जड़कारो चल रओ।’’ मैंने हंस के कई। बे बी हंसन लगीं।
‘‘आज तो सोंस रए के ठडूला बनाएं जाएं।’’ भौजी बोलीं।
‘‘हऔ, अच्छी सोंसी। मैं सोई मदद कर देहौं। ई जड़कारे में ठडूला सो भौतई अच्छे रैत आएं।’’ मैंने कई।
‘‘हऔ, पिठी सो तैयार आए।’’ भौजी बोलीं। फेर कैन लगीं के ‘‘हमने तो सोंस रखी आए के ई आबे वारे नए साल में हम अपने बुंदेली ब्यंजन बनाओ करबी। जा नूडल्स-फूडल्स तो हमें ऊंसई नईं पोसात। संडे खों अच्छी बाटी-भर्त, मंडे खों चींला, ट्यूस डे खों अनरसा, बुधवार खों गुलगुला, गुरुवार खों गूझा, शुक्रवार खों सकरपारे-नमकपारे औ शनीवार खों बरा बनाओ करहें।’’ भौजी ने अपनो पूरो मीनू बता डारो। बा सुन के ई मोरे मों में पानी आन लगो।
‘‘ईमें से मोए कछू खाबे को मिलहे के नईं?’’ मैंने सोई बेसरम घांईं पूछ लओ। ऊंसई मोरे एक चिनारी वारे कओ करत्ते के जीने खाई सरम, ऊके फूटे करम। सो, मोए सरम करबे में भलाई ने दिखी।
‘‘तुमें काए ने मिलहे? रोजीना संझा को इतई चाय पियो करियो औ इतई नास्ता करो करियो।’’ भौजी बोलीं।
उनको जो नओ साल को आफर पा के मोरी तो लाटरी लग गई। मोए लगो के जो सब जने भौजी घांई मिलजुल के रैबे वारे होंए तो कोनऊं खों कभऊं अकेलोपन ने सताहे औ ने कोनऊं सुविदाओं की कमी रैहे। कछू सुविदाएं आपस में मिल बांट के बी पाई जा सकत आएं। बाकी जे बात सरकारी सुविदाओं पे लागू नई होत आएं। काए से के उते मिल बांट के खाबों को मतबलई कछू औ होत आए।
बाकी बतकाव हती सो बढ़ा गई, हंड़िया हती सो चढ़ा गई। अब अगले हफ्ता करबी बतकाव, तब लों जुगाली करो जेई की। ऊंसई अगली बतकाव लौं नओ साल आ जैहे औ अपन अंग्रेजी वारो नओ साल मनात भए हैप्पी न्यू ईयर कैबी। ऊंसई अपन ओरे सो उत्सव मनाबे वारे ठैरे, चाए हिन्दी वारो होए चाए अंग्रेजी वारो, का फरक परत आए! सो, अबई से सबई खों हैप्पी न्यू ईयर!!! 
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