"आज को समै डरबे को नईं, लड़बे को आए" मित्रो, ये है मेरा बुंदेली कॉलम "बतकाव बिन्ना की" साप्ताहिक #प्रवीणप्रभात , छतरपुर में।
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बतकाव बिन्ना की
आज को समै डरबे को नईं, लड़बे को आए
- डाॅ. (सुश्री) शरद सिंह
‘‘काए बिन्ना, जे अपने इते का हो रओ?’’ भैयाजी चाय सुड़कत भए मोसे पूछन लगे।
‘‘का हो रओ भैयाजी! कौन के बारे में कै रए?’’ मैंने भैयाजी से पूछी।
‘‘अरे, जेई! अपने बुंदेलखंड में इत्ती मारा-मारी पैले नई रई, जित्ती अब होन लगी। जाने कोन की छायरी पर गई।’’ भैयाजी बोले।
‘‘मोए कछु समझ में ने आ रई के आप कैबो का चा रए?’’ मैंने भैयाजी से पूछी।
‘‘अरे जेई सब! अभईं ऊ दिनां एक वीडियो वायरल भओ रओ जीमें एक मोड़ा खों दो-तीन लुगाइयां ई लाने चप्पलन से पीट रई हतीं के ऊने उनकी घर की मोड़ी भगा लई रई। अब तुमई बताओ बिन्ना के बा मोड़ा का ऊ मोड़ी खों अपनी कैंया पे ले के भागो रओ के अपनी पीठ पे लाद के? अरे, बा मोड़ी सोई ऊके संगे निंगत-निंगत भगी हुइए।’’ भैयाजी सोचत भए बोले।
‘‘आज-काल निंगत-निंगत को भगत आए भैयाजी? जोन खों भागने रैत आए बो कहूं ने कहूं से एकाध फटफटिया को जुगाड़ करई लेत आए। ऐसई टेम पे तो जे मोड़ा हरन के दोस्त उनके काम आउत आएं।’’ मोए कैने कछू हती औ मैं कै कछू और बैठी।
‘‘हऔ तो, मनो बा मोड़ी निंग के ने गई हुइए सो फटफटिया पे बा मोड़ा के पांछू बैठ के भगी हुइए। कैबो को मतलब जे के भगे दोई संग-साथ औ पिटो अकेलो मोड़ा।’’ भैयाजी बोले।
‘‘जे न कओ भैयाजी, बा मोड़ी की घरे धुनाई भई हुइए। ऊके घरे झांकबे को गओ? बाकी होत जेई आए के एक तरफा मोड़ा को बहला-फुसला के भगा ले जाने वारो कहो जात आए औ दूसरी तरफी मोड़ी खों भागबे के कारण घरे-भीतरे कुटने परत आए। बाकी आप काए जे सब सोच रए? जे भागा-भागी कोनऊं पैली बार सो हुई नइयां।’’ मैंने कही।
‘‘हऔ, अब तुम कैहो के हमने सोई तुमाई भौजी से लवमैरीज करी रई, मनो ऐसे भगा के नई लाए रए उनकों।’’ भैयाजी बोले।
‘‘अरे, मैं जे नईं कै रई! आप गलत समझ रए।’’ मैंने भैयाजी से कही।
‘‘चलो ठीक, मनो हम ओरन की उम्मर बी नोहरी नई रई। दोई बालिग रए।’’ भैयाजी सफाई देत से बोले।
‘‘आप ठीक कै रए भैयाजी, पर जे लोहरी उम्मर ऐसी रैत आए के ऊमें गलत-सही कोन समझ परत आए?’’ मैंने भैयाजी से कही।
‘‘हौ, बाकी मोए फिकर भागबे-भगाबे वारन की नईं बल्कि जे सड़क पे ऐसे कूटत-पीटत की वीडियो बनाबे वरन की आए।’’ भैयाजी बोले।
‘‘उनकी काए की फिकर? उनको को का करहे।’’ मैंने कही।
‘‘उनको सो कोई कछु न करहे, मनो ई तरहा को रोग कोनऊ और खों ने लग जाए। जे मार-कुटव्वल को वीडियो बनाबो औ ऊको वायरल करबो ठीक नइयां। ईसे गलत लोगन खों गलत तरीका सूझन लगत आएं। अबे लों अपने इते ई टाईप के वीडियो नई बनाए जात्ते।’’ भैयाजी बोले।
‘‘हऔ भैयाजी, ठीक कै रए आप! अपने इते सो अच्छे-नोने हंसी मजाक के वीडियो बनत आएं और लोकनृत्य के वीडियो बनत आएं। जे टाईप के वीडियो की सो इन ओरन खों इंटरनेट देख के सूझी हुइए। ’’ मैंने भैयाजी से कही।
‘‘औ का? बाकी मोए एक फिकर और हो रई।’’ भैयाजी बोले।
‘‘कैसी फिकर?’’ मैंने पूछी।
‘‘जेई के अपने इते सोई आॅनर किलिंग होन लगी। अरे, मोड़ा-मोड़ी भगत तो पैले बी हते। मनो, जब बे ओरें पकरे जात्ते सो दो लपड़ा मार के उनकी अकल ठिकाने लगा दई जात्ती। ऐसो जान से थोड़े मारो जात्तो!’’ भैयाजी ने कही।
‘‘हऔ, जे सो आपने ठीक कई। मोरे संगे काॅलेज में एक मोड़ी पढ़त्ती, बा एक मोड़ा के संगे भाग गई हती। दोई के परिवारवालन ने खूबई ढूंढ-खोज करी। अखीर में बे ओरे जबलपुर में पकरे गए। दोई पकर के अपने-अपने घरे ले जाए गए औ दोई की अच्छी धुनाई भई। बाकी मोड़ी को घर से निकरबो बंद करा दओ गओ। औ बा मोड़ा खों सोई वार्निंग दे दई गई के जो कहूं मोड़ी के घर के लिंगे दिखे, सो टागें तोड़ दई जेहें।’’ मैंने भैयाजी खों बताई।
‘‘हमें जे समझ में नई आई, के जब उन ओरन खों भागने रओ सो कहूं दूर भागते। जे का, के इते से भगे औ जबलपुर में जा ठैरे। अरे, उते तो मुतके मिलते चींन्हे वारे। खैर, हो सकत आए के उनके पास दूर भागबे जोग पइसा ने रओ होय।’’ भैयाजी बोले। फेर कैन लगे,‘‘मगर बिन्ना, हमें जे नईं बूझ परत के जो मोड़ा-मोड़ी की चिल्लम-चिल्ली में सबरे घरवारे अकबर बादशाय काए बन जात आएं - के सलीम कछू कर लेओ पर हम तुमें अनारकली से ब्याओ न करन देहें।’’
भैयाजी ने बोली गंभीरता से, पर मोरी हंसी फूट परी। जे देख के भैयाजी सोई हंस परे।
‘‘सो, आप जेई लाने इत्ते फिकर में डूबे हते के मोड़ा-मोड़ी खों आज लों अकबर बादशाय से जूझने परत आए?’’ मैंने हंस के भैयाजी से पूछी।
‘‘हऔ, जे सो आए, बाकी मोरी चिन्ता जे बात की बी आए के अपने बुंदेलखंड में किसम-किसम के अपराध बढ़त जा रए। कहूं कोऊ कोनऊं के गरे से चेन खींच रओ, सो कहूं कोनऊं की हत्या कर रओ, कहूं कोनऊं होटल-मोटल से गलत काम करने वारी मोड़ियां पकरी जा रईं। ऊपे बे मोड़ियां सोई बांगलादेस और नेपाल से लाई गई भईं। जे कोनऊं मामूली बात नोईं। जब बे ओरे उते की मोड़ियां इते ला सकत आएं सो, इते की मोड़ियां उते ले सकत आएं। है के नईं? तुमई बोलो, का हम गलत कै रए?’’ भैयाजी बोले।
‘‘बात सो आप सही कै रै भैयाजी! जे सो फिकर वारी बात आए। औ कई बेरा सो इतई की पढ़बे-लिखबे वारी मोड़ियां पकरी गईं। जे सोई चिंता वारी बात आए। मताई-बाप को तनक ध्यान सो रखो चाइए। के छोटी जांगा से बिटियां शहर पढ़बे पौंची तो, मनोे बे कौन सी पढ़ाई पढ़ रईं?’’ मैंने भैयाजी कही।
‘‘जे जो टीवी, इंटरनेट को तड़क-भड़क आए न, जेई ने माहौल बिगार रखो आए। पैले एक-दो ठइयां टाॅकीज रैत्तीं। ऊमें मईना-मईना लो एक फिलम चलत्ती। सो फैशन बी रोज-रोज नई बदलत्तो। अब सो, आज के एपीसोड में उन्ने जे टाईप के जूता पैने और जे टाईप के हुन्ना-लत्ता पैने औ काल दूसरे एपीसोड में दूसरई टाईप के जूता, हुन्ना-लत्ता। सबई कछू नओ-नओ। सो उने देख-देख के रोज नओ स्टाईल को सबई कछू चाउने। बाजार वारे सो टीवी सीरियल के जरिए अपनी दूकानदारी कर लेत आएं, मनो जिनको जे सबई कछू चाउने औ खींसा मे पइसा ंनइयां, सो गलत काम करहेई।’’ भैयाजी बोले।
‘‘हऔ भैयाजी! मनो अब करो का जा सकत आए? समै सो बदलबे को नाम आए। पैलऊं मोड़ा हरें रेडियो पे गाना सुन-सुन के मोड़ियन को छेड़त्ते। मनो चिंता की बात जे आए के अब मामलो कछू ज्यादई गंभीर दिखात आए। अब बदमास मोड़ा हरें अपने मोबाईल पे चोरी-चुपके मोड़ियन की उल्टी-सूदी फोटू-वीडियो खींच के वायरल करन की धमकी दे के मोड़ियन खों डरात रैत आएं।’’ मैंने कही।
‘‘हऔ बिन्ना! जे सोई बड़ी ओछी बात आए। ऐसो नई करो जाओ चाइए। औ जो कोनऊं ऐसो करे ऊको मों करिया कर के जूतन की माला पिन्हा के जूलूस निकारो जाओ चाइए।’’ भैयाजी तिनकत भए बोले।
‘‘जेई लाने भैयाजी, आज को समै डरबे को नईं बल्कि गलत से लड़बे को आए, जे बात मोड़ियन खों याद रखो चाइए।’’ मैंने भैयाजी से कही।
‘‘हऔ बिन्ना! कछू होय हम सो एक बात जानत आएं के अपने बुंदेलखंड में चाए जैसो विकास होय पर अपराध बढ़ो नई चाइए।’’ कैत भए भैयाजी ने अपनी दूकान बढ़ा लई।
बाकी मोए सोई बतकाव करनी हती सो कर लई। मनो जे सो सबई चात आएं के इते को विकास होय, चाए ने होय, मनो जे किसम-किसम के अपराध नई बढ़ो जाओ चाइए। तो अब अगले हफ्ता करबी बतकाव, तब लों जुगाली करो जेई की। सो, सबई जनन खों शरद बिन्ना की राम-राम!
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(10.11.2022)
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