"दीपाली गुरू की कविताएं युवास्वर का उद्घोष हैं। दीपाली अपने सरोकारों को किसी तिलिस्म या जादुई आभा में उलझाती नहीं अपितु सीधे-सादे तरीके से उद्घाटित कर देती हैं। जिससे इनकी कविताएं अलग ही मुहावरे गढ़ती हैं। इस युवा कवयित्री के सृजन में अनंत संभावनाएं हैं यह बात उनके प्रथम संग्रह "ज़िन्दगी से बातें" को पढ़ने के बाद दावे से कही जा सकती है।" विशिष्ट अतिथि के रूप में मैंने अपने विचार प्रकट किए अवसर था विगत 21 अप्रैल को मेरे शहर की युवा कवयित्री दीपाली गुरु के प्रथम काव्य संग्रह के लोकार्पण का।
इस अवसर पर आयोजन के मुख्य अतिथि थे मध्यप्रदेश हिंदी साहित्य अकादमी के निदेशक डॉ. विकास दवे। डॉ. दवे की गरिमामय एवं स्नेहिल उपस्थिति इस आयोजन के लिए महत्वपूर्ण रही।
पुस्तक पर समीक्षात्मक वक्तव्य दिया श्रीमती निरंजना जैन ने तथा अध्यक्षता की श्रीमती सुनीला सराफ ने। श्यामलम संस्था द्वारा आयोजित समारोह का बेहतरीन संचालन किया डॉ. अंजना चतुर्वेदी तिवारी ने। सरस्वती वाचनालय एवं पुस्तकालय के सभागार में आयोजित इस समारोह में नगर की सभी साहित्यिक एवं सांस्कृतिक संस्थाओं के प्रतिनिधि तथा साहित्यकार मौजूद थे। श्यामलम संस्था के द्वारा स्थापित परंपरा के अनुरूप नगर की युवा प्रतिभा दीपाली गुरु का सभी वरिष्ठ साहित्यकारों द्वारा फूलमाला, शॉल, श्रीफल आदि से सम्मान कर उत्साहवर्द्धन किया गया।
कुछ तस्वीरें समारोह की ....
No comments:
Post a Comment