"तिब्बती शरणार्थी नहीं हैं, ये हमारे दिलों में बसते हैं। अपनों को शरण नहीं दिलों में स्थान दिया जाता है। एक धोखेबाज़ पड़ोसी से एक ईमानदार पड़ोसी ज़्यादा अच्छा होता है। हम भारतीय हमेशा यही चाहते हैं कि हमारे तिब्बती साथी अपनी मातृभूमि में लौट सकें। तिब्बत एक स्वतंत्र राष्ट्र के रूप में स्थापित हो। भारत की सीमा पर शांति और सुरक्षा स्थापित हो।" बतौर मुख्य अतिथि मैंने अपने उद्गार व्यक्त करते हुए कहा। अवसर था कल शाम को भारत-तिब्बती मैत्रीसंघ द्वारा आयोजित स्वागत समारोह का ।
यह स्वागत समारोह तिब्बती सायकिल यात्री जेमियांग तेंज़िंग का सागर के नागरिकों की ओर से स्वागत हेतु आयोजित किया गया था। श्री जेमियांग तेंज़िंग "We never forget Tibet" सायकिल रैली कैम्पेन पर बाइलाकुप्प, कर्नाटक से डेक्यीलिंग, उत्तराखंड तक के लगभग 3000 km के अभियान पर निकले हुए हैं। विगत 01दिसंबर 2023 से आरंभ हुई उनकी सायकिल यात्रा सागर से होकर गुज़रने के दौरान जेमियांग तेंज़िंग के अपनी मातृभूमि के प्रति जज़्बे को देखना सुखद लगा।
इस अवसर पर तिब्बती गरम कपड़ा व्यापारी संघ द्वारा सभी अतिथियों का तिब्बती अंगवस्त्र 'खांता' ओढ़ाकर सम्मान किया गया। समारोह की अध्यक्षता की श्रीमंत सेठ नरेश जैन ने, मुख्य अतिथि थी मैं डॉ (सुश्री) शरद सिंह,विशिष्ट अतिथि थे सेवानिवृत्त चीफ कंजरवेटर श्री त्रिपाठी एवं समाजसेवी श्रीमती रेखा राजपूत। समारोह के सूत्रधार एवं सफल संचालक थे सेवानिवृत्त शिक्षाविद एवं साहित्यकार डॉ. एम.डी.त्रिपाठी तथा तिब्बती समुदाय की ओर से आभार प्रदर्शन किया पोर्वो जी ने।
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