"युवा उपन्यासकार कार्तिकेय शास्त्री के उपन्यास ‘‘मुक्तिधाम’’ की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि जहां जीवन के अंत के बाद अस्तित्व का समापन होता है अर्थात् मुक्तिधाम में ठीक वहीं से कथानक का वास्तविक उद्देश्य धनुष-टंकार की ध्वनि के समान गूंजता है। जिसकी झंकार देर तक विचारों को झंकृत करती रहती है। उपन्यास को पढ़ते हुए कई स्थानों पर यह स्मरण नहीं रह जाता है कि हम किसी नवोदित उपन्यासकार की कृति पढ़ रहे हैं। एक सधा हुआ कथानक, मंजी हुई शैली, पात्रों की सटीक प्रस्तुति लेखक के रचनाकर्म के प्रति आश्वस्ति जगाती है। संवेदनाओं की गहराई में उतरना विशेषता है उपन्यासकार कार्तिकेय की।" - विशिष्ट अतिथि के रूप में मैंने (डॉ सुश्री शरद सिंह) अपने समीक्षात्मक वक्तव्य में कहा। अवसर था युवा उपन्यासकार कार्तिकेय शास्त्री के दूसरे उपन्यास "मुक्तिधाम" का लोकार्पण समारोह।
श्यामलम संस्था द्वारा 30.11.2023 को होटल वरदान के सभागार में आयोजित इस भव्य समारोह की कुछ झलकियां तस्वीरों के द्वारा...
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