"जब दो बोलियां आपस में हाथ थाम कर चलती हैं तो दोनों के उन्नयन होने में कोई संदेह नहीं रह जाता है। अवधी और बुंदेली आज परस्पर हाथ थाम कर चल रही हैं, यह दोनों लोक भाषाओं के लिए शुभ संकेत है।" मैंने अपने यह विचार व्यक्त किए झांसी की राजकीय संग्रहालय सभागार में। अवसर था 2024 का "अवध ज्योति सृजन सम्मान" ग्रहण करने का।
विगत 28 अगस्त 2024 को अवधी- बुन्देली जन जागरण यात्रा- 2024 के अवसर पर राजकीय संग्रहालय झांसी में आयोजित समारोह में मुझे (डॉ सुश्री शरद सिंह) को "अवध-ज्योति सृजन सम्मान" से सम्मानित किया गया। यह सम्मान हिन्दी के साथ बुंदेली सृजन में महत्वपूर्ण योगदान के लिए हरगोविंद कुशवाहा राज्यमंत्री (उप्र) एवं डॉ. सत्या सिंह संस्था संरक्षक द्वारा प्रदान किया गया।
मैं हृदय से आभारी हूं "अवध-ज्योति" पत्रिका के संपादक डॉ रामबहादुर मिश्र तथा बुंदेलखंड साहित्य उन्नयन समिति, झांसी डॉ. पुनीत बिसारिया जी की 🌷🙏🌷
इस अवसर पर "अवध ज्योति" पत्रिका के बुंदेली विशेषांक का भी लोकार्पण किया गया। कार्यक्रम में हिंदी, अवधि तथा बुंदेली के साहित्यकारों की उल्लेखनीय उपस्थित रही।
अवध और बुंदेलखंड के मध्य यह लोक भाषा का सहयोग-संवाद सदा इसी तरह बना रहे यही मेरी कामना है 🙏
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