"डॉ. गोपीरजंन साक्षी दार्शनिक विचारों के धनी थे। वे ओशो से प्रेरित थे। उनकी कविताओं में भी जीवन दर्शन स्पष्ट रूप से देखा जा सकता है। उन्होंने अपने जीवन को भी एक दार्शनिक की भांति जिया। डॉ साक्षी की स्मृति में 'प्रखर प्रतिभा सम्मान' युवा शायर नईम माहिर को दिया जाना युवाओं के लिए एक संदेश के समान है कि वे भी डॉक्टर गोपी रंजन साक्षी की भांति निजी दुखों को भुलाकर दूसरों के लिए जीवन जीना सीखें। डॉ साक्षी की स्मृति में यह आयोजन किए जाने के लिए हिंदी साहित्य सम्मेलन की सागर इकाई को साधुवाद है।" बतौर मुख्य अतिथि मैंने (डॉ सुश्री शरद सिंह ने) अपने उद्बोधन में कहा।
🚩अवसर था शहर के दिवंगत साहित्यकार डॉ. गोपीरजंन साक्षी स्मृति आयोजन का जिसके संकल्पनाकार थे श्यामलम संस्था के अध्यक्ष श्री उमाकांत मिश्र जी तथा कलासमीक्षक श्री मुन्ना शुक्ला जी।
🚩जे.जे. इंस्टीट्यूट सिविल लाइंस के सभागार में आयोजित इस कार्यक्रम में मुख्य अतिथि थी डॉ (सुश्री) शरद सिंह यानी मैं तथा अध्यक्षता की श्री टीकाराम त्रिपाठी जी ने। विशिष्ट अतिथि थे अधिवक्ता श्री डी पी तोमर। संचालन किया कवि पुष्पेंद्र दुबे ने तथा आभार प्रदर्शन किया साक्षी जी के पुत्र अमीश साक्षी ने। आयोजन में नगर के बुद्धिजीवियों की उल्लेखनीय उपस्थिति रही।
(30.01.2024)
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