बुंदेली कॉलम | बतकाव बिन्ना की | डॉ (सुश्री) शरद सिंह | प्रवीण प्रभात
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बतकाव बिन्ना की
इते खों बोलो औ उते खों गओ
- डॉ. (सुश्री) शरद सिंह
‘‘अरे बिन्ना आज बड़ों गजब को हो गओ! तुमें पता परो?’’ मोए देखतई साथ भैयाजी ने मोसे पूंछी।
‘‘काए के बारे में कै रए आप? का हो गओ?’’ मैंने भैयाजी से पूछी। मोए समझ में ने आई के बे काए की कै रए?
‘‘अरे तुमें पता नईं परो? पूरे मोहल्ला में बोई की बतकाव हो रई। पुलिस सोई आई रई।’’ भैयाजी अचरज दिखात भए बोले।
‘‘कोन के इते पुलिस आई? कोऊं के इते भड़या पिड़ गए का?’’ मैंने पूछी।
‘‘येल्लो ! तुमें कछू पतो नइयां?’’ भैयाजी ई टाईप से बोले के मोए सब कछू पतो रैने चाइए।
ईपे मैंने कछू ने कई।
‘‘अरे बिन्ना भीतरे रई हुइए सो ईको नईं पतो, आप औ दोंदरा दए फिर रए।’’ भौजी ने भैयाजी खों टोंको।
‘‘सई में मोय नई पतो के भैयाजी काय की कै रए?’’ मैंने भौजी से कई।
‘‘सुनो, हम बता रए। तुम उनको जानत हुइयो, अपने राआसरे जू, इतई नुक्कड़ पे रैत आएं।’’ भैयाजी ने कई।
‘‘बेई रामआसरे जू, जोन ने अपने दोरे के बाजू से पान की ठिलिया रखा लई रई।’’ मैंने भैयाजी से पूछी।
‘‘हऔ बेई, मनो उन्ने नईं रखाई रई, बा तो पान को ठिलिया वारो खुदई किराओ को पइसा ले के उनके दोरे ठाड़ो हो रओ।’’ भैयाजी बोले।
‘‘सो ईसे का? उन्ने तनक से किराए के लालच में अपने घरे के लिंगे पान की ठिलिया लगन दई। औ फेर कैसी पंचयात मची। कां-कां के गुर्रा रिें आ के उते ठाड़े होन लगे रए। बा तो सबने शिकायत कर के उते से ठिलिया हटवा दई ने तो कोनऊं दिना कोऊ बड़ो वारो कांड हो जातो।’’ मैंने कई।
‘‘ठिलिया तो हट गई, मनो बड़ो वारो कांड जरूर हो गओ।’’ भैयाजी बोले।
‘‘का हो गओ?’’ मैंने फेर के पूछी।
‘‘बेई रामआसरे जू आए न, उने कल्ल रात खों अपने मोबाईल पे एक मैसेज दिखानों। ऊमें लिखो रओ के आपको एटीएम संकारें लौं बंद कर दओ जैहे, सो आप अभई अपने क्रेडिट कार्ड से, ने तो डेबिट कार्ड से ईको चालू करा लेओ।ऊमें चालू कराबे के लाने रात को दो बजे तक को टेम दओ गओ रओ औ एक लिंक दई रई जीमें क्ल्कि कर के उनको अपने र्काउ की डिटेल भरनी हती।’’ भैयाजी तनक सांस लेबे खों रुके।
‘‘फेर? फेर का भओ?’’ मैंने पूछी।
‘‘होने का रई। राआसने जू ने बा लिंक खोलो औ ऊमें जो-जो भरबे खों कओ गओ, बे भरत गए। ईके बाद उनको मैसेज आओ के आपकी जानकारी फीड कर दई गई आए अब दो घंटा में आपको एटीएम चालू कर दओ जैहे। रामआसरे जू ने मैसेज पढ़ के चैन की सांस लई। बे दो घंटा को इंतजार करत-करत टीवी देखबे लगे। औ को जाने कब की उनें नींद लग गई।’’ भैयाजी बोले।
‘‘फेर? उनको एटीएम चालू हो गओ?’’मैंने पूछी।
‘‘जेई तो! भुनसारे चार बजे उनकी नींद खुली सो उने खयाल आओ के बे साऊत के पैसे का कर रए हते। उन्ने तुरर्तइं मैंसेज बाॅक्स खोल के देखो के उते एटीएम खुलबे को मैसेज आ गओ हुइए। मनो उते जो उने दिखो, बा देख के तो उने चक्कर आ गओ। ऊमें उनके एकाउंट से बीस लाख रुपयै निकारे जाने को मैसेज दिखानों। जबके उन्ने तो एक पइसा नहीं निकारो रओ। कछू देर बे बेहोस से डरे रए। उत्ते में उनकी घरवारी सोई जाग गई। ऊने देखो के रामआसरे जू तो आड़े डरे तो बे घबरा के चिचियान लगीं। उनकी आवाज सुन के पास-पडोस वारे दौड़त भए उते पौंचे। रामआसरे जू खों पानी-वानी के छींटा मार के उने होस में लाओ। तब पता परी के उनके संगे का भओ। सो, सबने कई के ईकी पुलिस में बता देओ। जेई बीच कोनऊं ने पुलिस खों फोन कर दओ।घंटा खांड़ में पुलिस वारे आए। उन्ने रामआसरे जू पूछ-ताछ करी तो समझ में आओ के उनके संगे साईबर क्राईम हो गओ आए। सो थाना से आए वारे बोले के ईकी तो साईबर थाने में रपट लिखी जैहे। बेई ओरें बता पाहें को अब का हो सकत आए। सो बे कछू जने के संगे साईबर थाना गए रए। अभई पांच-सात मिनट पैलेई तो आए कहाने। उनके संगे गए वारे बता रए हते कि उन ओरन ने रपट लिख लई आए औ रामआसरे जू खों तनक डांटो सोई के जब सबरे मीडिया के जरिए बताओ जा रओ के कोनऊं झांसा में ने आओ, ने आओ! औ आप बोई में कूंद परे।’’ भैयाजी ने बताई।
‘‘कई तो सांची बे पुलिस वारों ने मनो डांटो नई चाइए रओ। काए से के एक तो उनके इत्ते सारे पइसा चले गए औै उपरे से अब डांट के का हुइए? रामआसरे जू खों तो ऊंसई सबक मिल गओ। अब तो बे झूठी सक, कई की लिंक बी कभऊं ने खोलहें।’’ मैंने कई।
‘‘सो अब का हुइए?’’ भौजी ने पूछी।
‘‘अब देखो का होत आए। काए से के पुलिस वारे कै रए हते के ई टाईप के मामलों में पइसा वापस मिलबे को चांस कम रैत आए। हो का आए के कओ पता परी के जोन ने लिंक भेजो रओ बा उते अफरीका में बैठो, सो अब ऊको का बिगार लैहो? जा तो इंटरनेट को मामलो आए। ईमें पतोई नई परत के को कां से बैठ के का कर रओ।’’ भैयाजी बोले।
‘‘हऔ भैयाजी! जेई सोसल मीडिया और चैट-मैट में देख लेओ न, के मुतके हरें फर्जी प्रोफाईलें बना के ठगत रैंत आएं। अपनी डीपी पे ब्रांडेड कपड़ा वारी फोटू चपका देत आएं औ पता परी के बे कोऊ कुइरिया में फटी बनियान पैन्ह के बैठे होंए। औ आजकाल तो डिजिटल अरेस्ट घांई भौत से मामले होन लगे। जेई से कोऊ पे आंख मींच के भरोसो नईं करो जा सकत। रामआसरे जू सोई तनक ऊंसई से ठैरे। ने तो का परी हती के रात ई खों बे लिंक पे अपनो पूरो डिटेल डार आए। सो, उन्ने अपनो कार्ड को पासवर्ड सोई बता दओ हुइए?’’ मैंने भैयाजी से पूछी।
‘‘औ का? पूरो माने पूरो। अब अपने घरे की तारा-कुची खुदई भड़यों खों पकरा देओ तो बे माल-मत्ता तो उड़ाहेंई। बेई बे अपने रामआसरे जू तनक संकारे लौं ठैर जाते औॅर औ बैंक जा के पतो कर लेते तो ने गत्तंे ने बनतीं।’’ भैयाजी ने कई।
‘‘अब जो होने को रऔ सो हो गओ अब उनको का, इते सबई खों सम्हल के रैने चाइए। आजकाल को कां चपत लगा जाए कछू कहो नईं जा सकत।
‘‘अरे मैं बता रई ने आपके लाने, का भओं हमाए परिचय की एक मैडम आएं। वे आॅनलाईन शॅपिंग भौत करत आएं। एक दिनां एक आदमी आओं कूरियर वालों। उके पास एक ठइयां बोरा रओ। मनो शंका को कोनऊं गुंजाइश ने रओ। ऊने बकायदा घंटी बजा के एक ठइयां पैकेट पकराओ और पईसा ले लए। बाद में पता परी के बा पैकेट में से धजी निकरी। बा ऊ कंपनी को पैकेेटई नई हती जोन से उन्ने धुतिया मंगाई रई। पूरो पइसा पानी में चलो गओ।’’मैंने भैयाजी औ भौजी खों बताई। औ फेर उन ओरन से टाटा- बाय- बाय करी।
बाकी बतकाव हती सो बढ़ा गई, हंड़ियां हती सो चढ़ा गई। अब अगले हफ्ता करबी बतकाव, तब लौं जुगाली करो जेई की। तब लौं मनो सोचियो जरूर ई बारे में के ऐसे फेर में परे से का होत आए। काय से जे टाईप के लुटेरा पुटिया के ने तो धमका के पूछत आएं। औ जां सब कछू बताबे खों मों खोलो औ गओ सब। तो अबके जेई हो रओ के इते को मों खोलो औ उते सब कछू गओ। सो, तनक जागो रओ चाइए।
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