Thursday, June 19, 2025

बतकाव बिन्ना की | कोनऊं एक्स्ट्रा टेलेंट होबे में कछू बुराई नईं | डाॅ (सुश्री) शरद सिंह | बुंदेली कॉलम

बुंदेली कॉलम | बतकाव बिन्ना की | डॉ (सुश्री) शरद सिंह | प्रवीण प्रभात
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बतकाव बिन्ना की
कोनऊं एक्स्ट्रा टेलेंट होबे में कछू बुराई नईं
- डॉ. (सुश्री) शरद सिंह
        ‘‘कां हो आईं भौजी? मैं अभई तनक देर पैले आई रई, सो आप ने मिलीं। तारो डरो मिलो।’’ मैंने भौजी से पूछी।
‘‘अरे कछू नईं, इतई लौं गई रई।’’ भौजी बोलीं। 
अपने इते बुंदेलखंड में पैलई दफा में कोऊ पूरी बात बता दे, का ऐसो कभऊं हो सकत आए? राम को नांव लेओ, कभऊं नईं! पैले तो बोलहें के ‘‘कऊं नईं!’’ फेर औ ठेन करो तो उत्तर मिलहे के, ‘‘अरे कछू नईं, इतई लौं!’’ फेर बी ठेन कर रओ तो कऊं असल बात पे अवाई होत आए। सो मोय सोई जाने बिगैर कोन मानने रओ। 
‘‘फेर बी कां हो आईं?’’ मैंने फेर के पूछी। मैं सोई बुंदेला ठैरी। जो असल बात ने निकरवा पाए बा बुंदेला काय को? इते तो तब लौं ठेन करी जात आए, जब लौं पूरो मामलो ने खुल जाए।
‘‘का आ आए के हमने सोची के ऐसे तो जिनगी घूरा भई जा रई, कछू नओ काम करो चाइए।’’ भौजी बोलीं।
‘‘भौतई सई सोची आपने! सो, अब आप का करबे जा रईं?’’ मैंने पूछी।
‘‘जेई से हमें समझ नईं पर रई हती के हम का करें, सो हमने सोसल मीडिया पे देखी के कछू आइडिया मिल जाए।’’ कै के चुप हो गईं भौजी।
‘‘तो कछू मिलो आइडिया?’’मैंने पूछी।
‘‘हऔ! उते तो इत्ते लौं आडिया मिल गए के अब हमें समझ नईं पर रई के हम उनमें से कोन सो काम करें।’’ भौजी भैरानी-सी बोलीं।
‘‘आप मोय बताओ, जो कछू मोय समझ परहे तो मैं आपके लाने कछू बताबी।’’ मैंने भौजी से कई।
‘‘बिन्ना, हमें चाउने ऐसो काम जीमें हमाओ एक्स्ट्रा टेलेंट दिखाए।’’ भौजी बोलीं।
‘‘हऔ! टेलेंटेड तो आप ऊंसई हो, आपके लाने एक्स्ट्रा टेलेंट वारो काम चाउने। सई कई। सो कछू देखो आपने?’’ मैंने पूछी।
‘‘हऔ! एक तो हम सोसल मीडिया के लाने रील बना सकत आएं। औ ने तो कराओके पे गाना गा सकत आएं। बे कछू एप्प चलत आए न, जीमें कराओके वारे गाना गाए जात आएं।’’भौजी बोलीं।
‘‘आप जे दोई काम कर सकत आओ।’’ मैंने कई। बाकी मोय जा उमींद ने हती के भौजी कोनऊं ऐसे टेलेंट की बात करबे जा रई हुइएं। मनो जे उनकी मरजी।
‘‘भैयाजी से आपने ई मामले में कछू सलाय ली?’’ मैंने पूछी।
‘‘हऔ! बे सोई कै रए हते के दोई करो जा सकत आए।’’ भौजी बोलीं। 
‘‘बाकी भैयाजी कां गए? दिखा नईं रए? औ आप कां गई रईं, जा आपने बी ने बताई।’’ मैंने भौजी से पूछी।
‘‘अरे, हम दोई संगे निकरे रए। काए से के हमने सोची के जो हम रीलें बनाहें तो ऊके लाने कछू मेकअप को समान तो लगहे ई। अब हम बंदरिया घांई तो ने दिखबी अपनी रीलन में।’’ भौजी मोय समझात भई बोलीं। 
‘‘सई बात भौजी। अच्छे हुन्ना औ अच्छो मेकअप तो लगहे।’’ मैंने भौजी की तरफदारी करी।
‘‘सो, हमने जा के मेकअप को सामान लओ। ऊके बाद तुमाए भैयाजी बोले के तुम घरे जाओ, हम जा के रील बनाबे में लगबे वारी बा गोल-गोल लाईटें औ डंडी औ स्टैंड सोई लए आ रए। सो, बे उतई से तिगड्डा तरफी कढ़ गए औ हम घरे आ गए।’’ भौजी बोलीं।
‘‘कां आए बा मेकअप को सामान? मोए सोई देखने।’’ मैंने कई।
‘‘हऔ दिखा रए!’’ कैत भईं भौजी ने एक बैग खोलो औ ऊमें निकार-निकार के दिखान लगीं। फाउण्डेशन, पाउडर, लिपस्टिक, आई लाईनर औ न जाने का-का हतो।
‘‘काए भौजी, आप जे सब ले सो आईं मनो आपको जे लगात तो बनत आए के नईं?’’ मैंने पूछी। काए से के मोए लगो के बे जो मों पे लागाबे वारो फाउण्डेशन लाईं आएं ऊको रंग भौजी के मों के रंग पे सूट ने करहे। बा अलगई दिखाहे। मनो मैं जा बात कै के उने दुखी नईं कर सकत्ती।
‘‘बनत्त तो नईयां मनो, कोसिस करबी। ज्यादा हुइए तो सोसल मीडिया पे मुतकी वीडियो ई बारे में डरीं, उनईं खों देख-देख के मेकअप करबी।’’ भौजी तनक सोच में परत भई बोलीं।
‘‘सो, ऐसो करो ने के आप पैले हप्ता-खांड़ को ब्यूटीपार्लर वारो कोर्स कर लेओ।’’ मैंने भौजी खों सलाय दई।
‘‘जे तुम ठीक कै रईं। जेई करो जाए। पूरो कोर्स नईं तो कछू बेसिक चीजें तो हम सीखई सकत आएं।’’ भौजी खुस हो भईं बोलीं। फेर एकदम से उनको चेहरा बुझ गओ। बे बोलीं,‘‘पर उते तो तनक-तनक सी मोड़ियां हुइएं सीखबे वारी। उनके संगे हमें तो सरम आहे।’’
‘‘अरे, काय की सरम? कछू सीखबे में सरम नई करी जाती। काल को आप अपनी रीलें बना के डारहो औ ऊको दुनिया भरे के लोग देखहें तो का ऊ टेम पे बी आप सरमाहो?’’ मैंने भौजी से पूछी।
‘‘हऔ, बात तो तुमाई सई आएं। पर...’’ भौजी तनक हिचक सी रई हतीं।
‘‘आप काय डरा रईं? औ ज्यादा होय तो आप कै दइयो के जो हम सीख पाए तो अपनो पार्लर खोलबी।’’ मैंने भौजी खों सलाय दई। 
‘‘सो बे हमें काय खों सिखाहें, के हम सीख के अपनों पार्लर खोल लेबी। फेर हम उनके लाने खतरा ने बन जाबी?’’ भौजी ने पूछी।
‘‘अरे नईं भौजी, बे तो सिखाऊतीं जेई के लाने आएं के मइलाएं औ बिटियां सीख के अपनों धंधा सुरू कर सकें। कछू सिखाबे वारियन खों तो ईके लाने सरकार से सहायता सोई मिलत आए।’’ मैंने भौजी की गलतफैमी दूर करी।
‘‘हऔ, जो जे ठीक रैहे। मनो तुम चलियो हमें उते भरती कराबे। तुम सोई काय नईं सीख लेत?’’ भौजी अब के खुस होत भई बोलीं।
‘‘मोए का करने, बाकी आपखों भरती कराबे जरूर चलबी।’’ मैंने कई।
‘‘काय तुम सोई अपनी रील बना सकत आओ।’’ भौजी मोए उकसात भई बोलीं।
‘‘रैन देओ भौजी! कछू तो ऊंसई हमाओ लिखो देख-देख के दूबरे भए जा रए, औ ऊपे जो हम रील बना-बना के डारन लगहें तो दो-चार जने तो फंदा लगा लैहें।’’ मैंने हंस के ठिठोली करी।
‘‘चलो तुमाई मरजी! बाकी, जे जाने कित्तो टेम लगाहें? जो अभई आ जाते तो अपन ओरें अभई पार्लर खों चले चलते।’’ भौजी अकुलात भई बोलीं।
‘‘कोनऊं बात नई भौजी, भैयाजी खों अपन परखे ले रए। जो बे आध-पौन घंटा में आ जा रए तो अपन आजई चली चलबी, ने तो कल दुफारी में भोजन-पानी कर के निकरबी।’’मैंने भौजी से कई।
‘‘चलो ठीक, तुम बैठो! हम जो लो चाय-माय बना ला रए। कओ तब लौं तुमाए भैयाजी लौट आएं।’’ भौजी बोलीं।
‘‘सो आप उने फोन कर के काय नईं पूछ लेतीं के कबे लौं आ रए?’’ मैंने कई।
‘‘जे तुमने सई कई। हम अब्भई फोन करत आएं।’’ औ भौजी ने अपनो फोन उठाओ औ भैयाजी से पूछो। फेर फोन बंद करत भई बोलीं के ‘‘बे कै रए के बस, पांच-सात मिनट में आ रए बे। सो चलो, अब हम उनके लाने बी चाय बना ले रए। जो लो चाय बनहे, उत्ते में बे सोई आ जाहें।’’
‘‘ठीक आए!’’ मैंने कई। 
भौजी चली गईं चाय बनाबे के लाने औ मैं सोचन लगी के देखों जमानों कित्तो बदल गओ आए? पैले मइलाएं खाली टेम में सूटर बुनत्तीं, कढ़ाई, सिलाई करत्तीं, अच्छे पकवान बनाउत्तीं। औ ओई में अपनो टेलेंट दिखाउत्तीं। जो मइला खों सूटर में डिजाइन डारत बनत्तो, ऊकी भारी पूछ रैत्ती। सबई ऊको जिज्जी, भौजी कै के पुटियाऊत रैत्ती, ताके बे ऊको डिजाइन डारबो सिखा दें। ऐसई कढ़ाई बारन की पूछ रैत्ती। जोन से अच्छे फूल काढ़त बनत्ते, उनकी बड़ी पूछ रैत्ती। औ दो-सूती में तोता, हिरना, सीनरी काढ़बे वारी सो भौतई टेलेंटेड मानी जाती रईं। रई पकवान के टेलेंट की सो, मोए सोई एक दफा बेसन-मलाई की बरफी बनाबो सीखबे की सूझी। मैंने ऐसईं दो-चार टेलेण्टेड भौजियन से पूछी। मनो उनके इत्ते भाव बढ़े रए के उन्ने मोए सई बिधी ने बताई। तब मोए भौतई गुस्सा आओ। मनो तभई मोए एक जनी सिखाबे खों तैयार हो गईं। औ उन्ने जो मोए बिधि बताई ऊकी तो आप बातई ने पूछो। भौतई सई औ भौतई सरल बिधी हती बा। फेर मैंने बा बिधि से मुतकी बेर बेसन-मलाई की बरफी बनाई औ मुतके जनों को ख्वाई। मनो, अब देखो तो भौजी बुनाई, कढ़ाई, सिलाई में टेलेण्ट दिखाबे के बजाए रील बनाबे औ कराओके पे गानो गाबे में टेलेण्ट दिखाओ चा रईं। संगे भैयाजी सोई साथ दे रए। बाकी अबई भैयाजी आए जा रए तो ब्यूटीपार्लर के कोर्स में भौजी खों भरती कराबे मोए जाने परहे, काए से के जे मोरी खुदई की पाली सल्ल आए। जाने तो परहे ई।  
        बाकी बतकाव हती सो बढ़ा गई, हंड़ियां हती सो चढ़ा गई। अब अगले हफ्ता करबी बतकाव, तब लौं जुगाली करो जेई की। मनो सोचियो जरूर ई बारे में के कोनऊं एक्स्ट्रा टेलेण्ट होबे में कछू बुराई नईं। ईमें भौजी को टेम खराब ने हुइए। मनों जो आजकल के बच्चा रील बनाबे में जुटे रैत आएं, बा का सई आए?  
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