Wednesday, June 4, 2025

चर्चा प्लस | पर्यावरण दिवस की इस वर्ष की थीम है ‘‘बीट प्लास्टिक पाॅल्यूशन’’ | डाॅ (सुश्री) शरद सिंह | सागर दिनकर

चर्चा प्लस
पर्यावरण दिवस की इस वर्ष की थीम है ‘‘बीट प्लास्टिक पाॅल्यूशन’’
- डाॅ. (सुश्री) शरद सिंह
        हम प्लास्टिक और उसके कचरे से घिरे हुए हैं। एक छोटी सी सुविधा हमारी जिंदगी का गला घोंट रही है। क्या आप जानते हैं? पूरी दुनिया में प्लास्टिक का इस्तेमाल इतना बढ़ गया है और हर साल दुनिया भर में इतना प्लास्टिक फेंका जाता है कि उससे पूरी धरती के चार घेरे बन जाते हैं। प्लास्टिक हमें हर तरह से नुकसान पहुँचाता है। इसमें मौजूद जहरीले रसायन सीधे शरीर पर असर डालते हैं। वहीं, प्लास्टिक का कचरा हमारे पर्यावरण और जलवायु को तेजी से नुकसान पहुँचा रहा है। इसका असर समुद्र, नदियाँ, ग्लेशियर से लेकर मौसम तक पर पड़ रहा है। तो क्या हम ऐसे हानिकारक प्लास्टिक को ‘न!’ नहीं कह सकते? हमें ‘‘न!’’ कहना होगा प्लास्टिक को अपनी पृथ्वी को बचाने के लिए। यही तो थीम है विश्व पर्यावरण दिवस 2025 की।
2025 में विश्व पर्यावरण दिवस प्लास्टिक प्रदूषण को समाप्त करने पर केंद्रित होगा। कोरिया गणराज्य वैश्विक समारोह की मेजबानी करेगा। दशकों से प्लास्टिक प्रदूषण दुनिया के हर कोने में फैल चुका है, यह हमारे पीने के पानी, हमारे खाने के खाने और हमारे शरीर में समा रहा है। जबकि प्लास्टिक प्रदूषण एक बड़ी चिंता का विषय है, यह आज की पर्यावरणीय चुनौतियों में से एक है, जिसका समाधान सबसे आसान है, और इसके कुछ स्पष्ट समाधान भी मौजूद हैं।

थीम के विस्तार पर जाने से पूर्व मैं एक छोटी सी घटना यहां साझा कर रही हूं। 
‘‘आंटी! देखो मैंने क्या बनाया है!’’ छोटी बच्ची ने उत्साह से मुझसे कहा। उसके नन्हे हाथों में डीआईवाई चीजें थीं जो उसने खुद बनाई थीं।
‘‘बहुत सुंदर!’’ मैंने तारीफ की। मैं छोटी बच्ची को निराश नहीं करना चाहती थी लेकिन मुझे यह देखकर दुख हुआ कि उसने उन चीजों को बनाने के लिए उसने प्लास्टिक के कचरे को चुना।
हाँ, मेरी सहेली की छोटी बेटी ने प्लास्टिक की कोल्ड ड्रिंक की बोतलों से कुछ घरेलू सजावट की चीजें बनाईं और मुझे उत्साह से दिखाया। उसकी माँ ने गर्व से कहा कि ‘‘हमें प्लास्टिक की बोतलों को फेंकने की जरूरत नहीं है क्योंकि मेरी बेटी उनसे कुछ भी बना सकती है। इस तरह से मेरे घर में प्लास्टिक कचरे का प्रबंधन अच्छे से हो जाता है।’’
क्या मेरी सहेली की बात सच थी? क्या इस तरह से प्लास्टिक कचरे का प्रबंधन किया जा सकता है? शायद नहीं, क्योंकि इस तरह से उस कचरे का आकार और प्रकार बदल गया लेकिन प्लास्टिक वही रहा। जब लड़की अपनी बनाई चीजों से ऊब जाएगी तो वह उन्हें कचरे में फेंक देगी और फिर वह प्लास्टिक पर्यावरण के लिए खतरा पैदा करेगा क्योंकि प्लास्टिक कभी नष्ट नहीं होता। इसे रीसाइकिल करके किसी और रूप में इस्तेमाल करने से भी प्लास्टिक कचरे से नहीं बचा जा सकता।

दरअसल, प्लास्टिक का इस्तेमाल हमारी जिंदगी का अभिन्न हिस्सा बन चुका है और इस नुकसानदेह हिस्से से छुटकारा पाने के लिए हमें अपनी आदतें बदलनी होंगी। प्लास्टिक सस्ता और टिकाऊ है और इसने मानवीय गतिविधियों में क्रांति ला दी है। आधुनिक जीवन इस बहुमुखी पदार्थ का आदी और निर्भर है, जो कंप्यूटर से लेकर मेडिकल उपकरण और खाद्य पैकेजिंग तक हर चीज में पाया जाता है। दुर्भाग्य से, हर साल हमारे महासागरों में अनुमानित 8.5 मिलियन मीट्रिक टन से अधिक प्लास्टिक कचरा डाला जाता है। समुद्र विज्ञानियों ने चेतावनी दी है कि अगर हम इसी तरह समुद्र में प्लास्टिक कचरा फेंकते रहे तो साल 2050 तक समुद्र में मछलियों के वजन से ज्यादा प्लास्टिक होगा। यह समुद्री जीवन के लिए हानिकारक होगा। खास तौर पर कोरल रीफ को सबसे ज्यादा नुकसान होगा। सवाल उठता है कि समुद्र के पास जाए बिना हम उसे प्लास्टिक कचरे से कैसे भर रहे हैं? इसका सीधा जवाब यह है कि हम सीधे तौर पर ऐसा नहीं कर रहे हैं बल्कि कचरा फेंकने वाले हमारे द्वारा फेंका गया कचरा, जिसका निपटान अवैध रूप से नहीं किया जा सकता, नदियों, तालाबों और समुद्रों में डाल रहे हैं। एक अन्य रिपोर्ट में इसी समस्या के बारे में बताया गया है। 2020 की ऐतिहासिक रिपोर्ट ‘‘ब्रेकिंग द प्लास्टिक वेव’’ के अनुसार, अगर हम कार्रवाई में सिर्फ पाँच साल की देरी करते हैं, तो 2040 तक समुद्र में 80 मिलियन मीट्रिक टन अतिरिक्त प्लास्टिक पहुँच जाएगा। जलवायु परिवर्तन की रफ्तार को देखते हुए, प्लास्टिक की समस्या को हल करने के लिए हमारे पास समय कम होता जा रहा है। इसीलिए अब वैश्विक प्लास्टिक संधि वार्ता की जरूरत महसूस की जा रही है ताकि दुनिया के सभी देश मिलकर समुद्र समेत सभी जल निकायों को कभी न खत्म होने वाले जहरीले प्लास्टिक कचरे से बचा सकें।
शोधकर्ताओं ने पाया है कि एशिया और विकासशील दुनिया भर में खुले में जलाना अपशिष्ट निपटान का एक सामान्य तरीका है। भारत और नेपाल में जलाए जाने वाले कचरे की मात्रा वैश्विक स्तर पर जलाए जाने वाले कचरे का 8.4 प्रतिशत है। खुले में कचरे को जलाने से एक गंभीर वायु प्रदूषक, ब्लैक कार्बन का उत्पादन होता है और यह नई दिल्ली जैसे शहरों में दिखाई देने वाले आधे धुंध के लिए जिम्मेदार है। ब्लैक कार्बन की ग्लोबल वार्मिंग क्षमता कार्बन डाइऑक्साइड की तुलना में 5,000 गुना अधिक है। हम प्लास्टिक पर इस कदर निर्भर हैं कि पीने के पानी की बोतल से लेकर लंच बॉक्स तक, हम प्लास्टिक का ही इस्तेमाल करते हैं। हम प्लास्टिक का इस्तेमाल तो कर रहे हैं लेकिन इसके दुष्प्रभावों से अनजान हैं। आप जानते हैं कि प्लास्टिक मानव शरीर के लिए कई तरह से हानिकारक है। प्लास्टिक के निर्माण में इस्तेमाल होने वाले रसायन जहरीले और शरीर के लिए हानिकारक होते हैं यही कारण है कि अब मौसम का मिजाज पहले जैसा नहीं रह गया है।
विश्व पर्यावरण दिवस इस वर्ष यूनाईटेड नेशनंस इन्वायरमेंट प्रोग्राम के अंतर्गत में ‘‘बीट प्लाटिक पाॅल्यूशन’’ के साथ जुड़कर दुनिया भर के समुदायों को समाधान लागू करने और उनकी वकालत करने के लिए प्रेरित करेगा। विश्व पर्यावरण दिवस प्लास्टिक प्रदूषण के प्रभावों पर बढ़ते वैज्ञानिक प्रमाणों पर प्रकाश डालेगा और प्लास्टिक के उपयोग को अस्वीकार करने, कम करने, पुनः उपयोग करने, पुनर्चक्रण करने और पुनर्विचार करने के लिए गति प्रदान करेगा। यह वैश्विक प्लास्टिक प्रदूषण संधि के माध्यम से प्लास्टिक प्रदूषण को समाप्त करने के लिए 2022 में की गई वैश्विक प्रतिबद्धता को भी मजबूत करेगा। कोरिया गणराज्य द्वारा विश्व पर्यावरण दिवस के लिए वैश्विक अवलोकन की मेजबानी करने का यह दूसरा अवसर है। इसने पहली बार 1997 में  ‘‘पृथ्वी पर जीवन के लिए’’ थीम पर इस दिवस की मेजबानी की थी।

पिछले 28 वर्षों में, देश ने जल और वायु की गुणवत्ता में सुधार, रसायनों का सुरक्षित प्रबंधन, तथा पारिस्थितिकी तंत्र की रक्षा और उसे बहाल करने में उल्लेखनीय प्रगति की है। आज, विस्तारित उत्पादक जिम्मेदारी के माध्यम से व्यवसायों को जोड़ने के दशकों के अनुभव के आधार पर, कोरिया गणराज्य प्लास्टिक कचरे से निपटने के प्रयासों में अग्रणी देशों में से एक है। देश की पूर्ण जीवन-चक्र प्लास्टिक रणनीति का उद्देश्य प्लास्टिक के जीवन चक्र में हर चरण को संबोधित करना है, उत्पादन और डिजाइन से लेकर उपभोग, पुनः उपयोग और पुनर्चक्रण तक। यह रणनीति सरकार, व्यवसायों और उपभोक्ताओं को एक साथ लाती है ताकि प्लास्टिक के उपयोग और निपटान के तरीके को फिर से आकार दिया जा सके। कचरे को उसके स्रोत पर रोक लगाकर, पुनर्चक्रण प्रयासों का विस्तार करके, और एक परिपत्र अर्थव्यवस्था में संक्रमण को तेज करके, कोरिया गणराज्य प्लास्टिक प्रदूषण को कम करने और अधिक टिकाऊ भविष्य का निर्माण करने के लिए निर्णायक कार्रवाई कर रहा है।

कोरिया गणराज्य में जेजू प्रांत को विश्व पर्यावरण दिवस के लिए मेजबान स्थान के रूप में चुना गया था। 2022 में, प्रांत ने 2040 तक प्लास्टिक प्रदूषण से मुक्त होने का लक्ष्य घोषित किया । जेजू देश का एकमात्र प्रांत है जहाँ घरेलू कचरे को निर्दिष्ट रीसाइक्लिंग सहायता केंद्रों पर निपटाया जाना चाहिए। इस प्रणाली में स्रोत से कचरे को अलग करने की आवश्यकता होती है, जिससे रीसाइक्लिंग दर में वृद्धि होती है और यह सुनिश्चित होता है कि अधिक कचरे का पुनरू उपयोग किया जाए। इसके अलावा, जेजू कोरिया गणराज्य में डिस्पोजेबल कप जमा प्रणाली शुरू करने वाला पहला प्रांत है।

प्लास्टिक प्रदूषण पर्यावरण पर संकट के घातक प्रभावों को और बढ़ा देता है - जलवायु परिवर्तन का संकट, प्रकृति, भूमि एवं जैव विविधता को नुकसान, तथा प्रदूषण और कचरे का संकट। वैश्विक स्तर पर, अनुमान है कि हर साल 11 मिलियन टन प्लास्टिक कचरा जलीय पारिस्थितिकी तंत्र में रिसता है, जबकि कृषि उत्पादों में प्लास्टिक के उपयोग के कारण सीवेज और लैंडफिल से मिट्टी में माइक्रोप्लास्टिक जमा हो जाता है। प्लास्टिक प्रदूषण की वार्षिक सामाजिक और पर्यावरणीय लागत 300 बिलियन अमेरिकी डॉलर से 600 बिलियन अमेरिकी डॉलर के बीच है।

इस वर्ष विश्व पर्यावरण दिवस ऐसे समय मनाया जा रहा है जब देश समुद्री पर्यावरण सहित प्लास्टिक प्रदूषण को समाप्त करने के लिए  वैश्विक संधि हासिल करने की दिशा में प्रगति कर रहे हैं। नवंबर 2024 में, कोरिया गणराज्य ने प्लास्टिक प्रदूषण संधि विकसित करने के लिए वार्ता के  पांचवें सत्र की मेजबानी की। सत्र का दूसरा भाग 5 से 14 अगस्त तक जिनेवा, स्विटजरलैंड में होगा। मौसम जितनी तेजी से अपना मिजाज बदल रहा है, उतनी तेजी से हम इसे सुधार नहीं सकते। हालांकि, अगर हम अपनी जीवनशैली को पर्यावरण के अनुकूल बनाएं तो इस बदलाव की गति को धीमा कर सकते हैं। हमें उन चीजों का इस्तेमाल कम करना चाहिए जो जलवायु को नुकसान पहुंचा रही हैं। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अनुसार, दिल्ली में हर दिन 690 टन प्लास्टिक कचरा फेंका जाता है, चेन्नई में 429 टन, कोलकाता में 426 टन, मुंबई में 408 टन। छोटे शहरों के आंकड़े थोड़े कम हो सकते हैं, लेकिन खतरे कम नहीं हैं। पॉलीथिन बैग के कचरे में जलने से निकलने वाली डाइऑक्सिन गैस बेहद जहरीली होती है। यह न केवल इंसानों के स्वास्थ्य पर बुरा असर डालती है, बल्कि पशु-पक्षियों और पेड़-पौधों के स्वास्थ्य पर भी बुरा असर डालती है। यह नालियों को जाम कर देती है और उन्हें बाढ़ की ओर ले जाती है। अगर हम सड़क पर इधर-उधर प्लास्टिक की थैली फेंकना बंद कर दें, तो मान लीजिए हमने जलवायु संरक्षण की दिशा में एक कदम बढ़ा दिया है। और, पॉलीथीन की थैलियों के इस्तेमाल को नकारना पर्यावरण और जलवायु को बचाने की दिशा में एक बड़ा कदम होगा। प्लास्टिक का इस्तेमाल कम करना इस दिशा में सबसे सार्थक कदम होगा। बेशक, हमने प्लास्टिक के इस्तेमाल को कम करने की कोशिश शुरू की है, लेकिन इसकी गति धीमी है। हमें अपने प्रयासों में तेजी लानी होगी ताकि प्लास्टिक कचरे से होने वाले नुकसान को कम किया जा सके।
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