Thursday, March 16, 2023

बतकाव बिन्ना की | ‘नाटू’ पे बे कर गए नाॅटी बतकाव | डाॅ. (सुश्री) शरद सिंह | बुंदेली कॉलम | बुंदेली व्यंग्य | प्रवीण प्रभात

"‘नाटू’ पे बे कर गए नाॅटी बतकाव"  मित्रो, ये है मेरा बुंदेली कॉलम "बतकाव बिन्ना की" साप्ताहिक #प्रवीणप्रभात , छतरपुर में।
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बतकाव बिन्ना की
‘नाटू’ पे बे कर गए नाॅटी बतकाव                            - डॉ. (सुश्री) शरद सिंह
        ‘‘नाटू... नाटू.., नाटू... नाटू..  ’’ मैंने देखी के भैयाजी कंडा थापत जा रए हते औ नाटू सांग गात जा रए हते। मने जे कई जाए के नाटू सांग की धुन पे बे कंडा थाप रए हते। मोय जे देख के बड़ो मजो आओ।
‘‘काय भैयाजी, आप बड़ो नोनो का रए, मनो नाटू... नाटू.. वारी लाईन के आगे सोई गाओ। आप सो जेई दोहरात जा रए।’’ मैंने भैयाजी से कई।
‘‘ईसे आगे मोय नई पतो!’’ भैयाजी गोबर थपकत भए बोले।
‘‘हऔ, चलो कोई बात नईं। आज काल के अपने इते के हिन्दी गाना की सोई जेई दसा आए के उनको मुखड़ा के आगे को टुकड़ा यादई नई रैत। फेर जे सो दक्षिण को गाना कहाओ। बाकी ईको आॅस्कर मिलो, जे अपन ओरेन सबई के लाने गर्व की बात कहाई।’’ मैंने भैयाजी से कई।
‘‘हऔ बिन्ना, जे बात तो ठीक कई। आस्कर में अपने देस को नांव ऊंचो भओ!’’ भैयाजी खुस होत भए बोले।
‘‘आपको पतो भैयाजी के जब ई गाना को हिन्दी में डब करो गओ तो ऊमें तेलगू कांे नाटू नाटू की जांगा ‘नाचो नाचो’ कहो गओ। काय से के हिन्दी में ईको मायने होत आए नाचना। औ आपको पतो भैयाजी के कन्नड़ में ईको ‘हल्ली नातु’, तमिल में ‘नट्टू कूथु’ और मलयालम में ‘करिन्थोल’ कओ गओ। ई गाने के म्यूजिक कंपोजर आएं एमएम कीरवानी। इको चंद्रबोस ने लिखो आए औ उन्हई के उनके बड़े बेटे काल भैरव औ राहुल सिप्लिगुंज ने जो गाना गाओ आए। प्रेम रक्षित ने कोरियोग्राफ करी। मनो मोय एक बात समझ में ने आई के ई गाना की शूटिंग यूक्रेन में काय करी गई? इतई अपने देस में काय नई फिलमा लओ गओ?’’ मैंने भैयाजी से कई।
‘‘जे फिलम वारन की मुतकी बातें अपने तो समझ से परे रैत आएं।’’ भैयाजी बोले फेर तनक सोचत भए कहन लगे,‘‘बाकी हमें तो जे समझ नईं परी के अपने बालीवुड की फिल्में बे आस्कर वारन खों काय नईं पोसात?’’
‘‘बात जे आए भैयाजी, के जोन दिनां उते नकलपट्टी के लाने ऑस्कर दओ जान लगहे, ऊं दिनां गाना, बजाना, एक्टिंग, कहानी डायरेक्शन मने सबई कछू के अवार्ड अपनी बाॅलीवुड की फिल्मों कोई मिलहें। आप का देखत नइयां के कैसे फ्रेम टू फ्रेम नकल करत आएं। आपको याद हुइए के एक फिलम आई रई ‘‘निशब्द’’। ऊंमें जिया खान औ अमिताभ बच्चन जी रए। ऊकी खूबई वाह-वाही करी गई। मनो बा फिलम 1992 में हाॅलीवुड में बनी ‘‘प्वाइजन आइवी’’ की काॅपी हती। प्वाइजन आईवी की कहानी लिखी रई मेलिसा गोडार्ड ने औ इते कहानी लिखबे वारी हतीं कुसुम पंजाबी। अब उनसे कोनउं पूछे कि बहनजी आपने सो मेलीसा की कहानी को हिन्दी में अनुवाद कर लओ, सो आप तो अनुवादक कैलाईं, स्टोरी राईटर नोईं। ऐसई मुतकी फिलम आएं जो हाॅलीवुड की फिलमों की नकलपट्टी कर के बनाई जात आए। ऐसई फिलम ‘राज’, ‘जहर’ औ बो वाली रई जीमें आमिर खान ट्रांजिस्टर लओ ठाडत्रो रैत आए। सो जे ओरें सूदे-सूदे हौलीवुड की नकल मारत रैत आएं। औ जो उते ले नईं पाए, सो साउथ की फिलमों की नकल मार लई। ईमानदारी दिखानी रई सो ‘रीमेक’ कै दओ, ने तो सोसल मीडिया घांई कट-पेस्ट को धंधा सो चलतई रैत आए।’’ मैंने भैयाजी से कई।
       ‘‘हऔ, एक बा हती ‘बर्निंग ट्रेन’’। ऊके बारे में हमने बोई टेम पे पढ़ी रई के बा सोई हाॅलीवुड की फिलम ‘‘टावरिंग इनफर्नो’’ की नकल मारी गई हती। बाकी ऊमें जे मजे की बात रई के उन ओरन ने ऊंची इमारत में आग लगबे पे फिलम बनाई और अपने इते ऊ इमारत को आड़ो कर दओ गओ और इते रेलगाड़ी बना दी गई। बाकी गाना-माना सो हतेई।’’ भैयाजी खों साई याद आ गई।
‘‘अपने इते की हिन्दी फिलमन की कछू ने कओ भैयाजी! पिछले मईना एक नई फिलम आई रई जोन को नांव हतो ‘तू झूठी मैं मक्कार’’। अब आपई बताओ के का जे फिलम ऑस्कर में भेजी जा सकत आए?’’
‘‘जे तो सांसदो औ विधायकन खों दिखाओ जाने चाइए। उनपे बड़ो सूट करत आए जो नांव।’’ भैयाजी हंसत भए बोले।
‘‘सही कई भैयाजी आपने। बाकी अपनी संसद में नाटू-नाटू पे खूबई नाॅटी-नाॅटी बतकाव करी गई। नाटू के नांव पे कोऊ ने मोदी सरकार पे निसाना साधो, सो कोऊ ने नाटू को मायने बता दओ।  बे कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने कई के ‘उम्मंीद आए के मोदी सरकार जे पुरस्कारों को श्रेय नई लेगी।’ अब ईमें मोदी सरकार कां से आ गई। खड़गे जी ने नाटू के बहाने कर दईं नाॅटी बतकाव। बे इत्तई पे नईं ठैरे। बे बोल परे के- कऊं रूलिंग पार्टी जे ने कै दे के हमने ईको डायरेक्ट करो आए। अब जो का आए? का उते संसद में बैठ के ऐसई नाॅटी बतकाव करी जानी चइए?’’ मैंने भैयाजी से पूछी।
‘‘जेई सो राजनीति आए बिन्ना! चाय नाटू होय चाय माटू होय, उनके नांव पे अपनी राजनीति चमकाबो खूब आत आए इन ओरन खों।’’ भैयाजी बोले।
‘‘औ का! तभई तो, बे ओरे सोई नाटू पे बोलत रए जोन ने आमजनता की समस्या पे कभऊं उते अपनो मों नई खोलो। कोऊं-कोऊं ने सो जे लो बता डारो के नाटू नटराज से बनो आए। रामधई! जेई ज्ञान पाने के लाने सो अपन ओरने ने उन ओरन खों उते भेजो आए। अपन ओरन के पाइसा पे बे अपनई ओरन खों बेफालतू के ज्ञान पेल रए उते बैठ के।’’ मैंने कई, काय से के मोरो मुंडा खराब होन लगो हतो।
‘‘अरे बिन्ना जे कओ के ई बात पे उते कुर्सियां ने पटकी गईं। ने तो बे ओरे कुर्सियां तोड़न लगत आएं, ने तो वाकआउट कर जात आएं। ईसे तो नाटू पे नाॅटी बतकाव भली।’’ भैयाजी बोले।
‘‘कछू नईं, जे सब टेमपास कहाउत आए। कैने को भौत कछू बोल दओ औ कोनउं काम को नईं। बो कहनात आए न के, खाओ न पियो, गिलास फोड़ो पूरो बारा आने।’’
 ‘‘हऔ, फोड़बे से मोय याद आई के अपने इते सड़क बन के तैयार नई हो पात के ऊंको फोड़बे वारे आ जुटत आएं।’’ भैयाजी बोले।
‘‘हऔ, बा सोसल मीडिया पे मैंने सोई बा पोस्ट देखी रई। बा शशांक तिवारी भैया की पोस्ट हती। उन्ने सड़क फोड़बे वारन की फोटू के संगे लिखो रओ के -‘अगेन बफेलो गो टू वाटर’। जे पढ़ के मोय खूबई हंसी आई। औ का कही जाए भैयाजी के बा पोस्ट इत्ती धांसू हती के मोरो सबरो ध्यान ऊंपे अटक गओ औ ऊं टेम पे मैं सब्जी को मसाला भून रई हती, सो सबरो मसाला जर गओ। बो कैत आएं न के सावधानी हटी के दुर्घटना घटी। मोरो ध्यान अटक गओ ऊं पोस्ट पे, और इते मोरो मसाला जर गओ। तनक देखो भैयाजी के सड़क खोदबे को कोन-कोन टाईप को साईड इफैक्ट होत आए। बाकी ई सब पे उते संसद में कोनऊं मों नईं खोलत आए।’’ मैंने भैयाजी से कई।
‘‘असल बात जे आए बिन्ना के अपन ओरें अब हो गए मट्ठर। कछू हो जाए, कोनऊं फरक नईं परत। कऊं पानी की लाईन फूटे, चाय हरे-भरे पेड़ कटें, चाय रसोई गैस के दाम बढ़ें, अपन ओरन को कोनऊं लेबो-देबो नईं रैत। मनो जे सब कोनऊं और के संगे हो रओ होय।’’ भैयाजी बोले।
‘‘सही कई भैयाजी! अपने इते तो दिखाबे की राजनीति चलत आए।’’ मैंने कई।
‘‘दिखाबे की? मने का मतलब तुमाओ?’’ भैयाजी ने पूछी।
‘‘मतलब जे के जित्तों को काम नई करो जात ऊंसे ज्यादा को ढिंढोरा पीटो जात आए। अब आपई देखो के कहूं आठ बाई आठ की फर्शी लगवा दई सो उतई छत्तीस बाई छत्तीस को होर्डिंग लगवा दओ जात आए के जे काम इन्ने कराओ आए।’’  
‘‘तुम सोई बिन्ना, गजबई करत हो! कां नाटू से शुरू करी रईं औ आ के अटक गईं होर्डिंग पे। अब बे ओरे अपनो प्रचार ने करहें सो चुनाव की टिकट कैसे पाहें? सो, जे सब तुम छोड़ो। जे देखो तुमसे बतकाव करत-करत हमाए कंडा थप गए। तुमाई भौजी ने हमसे कई रई के जब लौं पूरे कंडा ने थपहें तब लौं चाय ने मिलहे। सो हमाए तो कंडा थप गए औ हो गई हमाई चाय की जुगाड़। चलो, तुम सोई पी लइयो!’’ भैयाजी हाथ धोत भए बोले।
‘‘आप पियो औ मोय चलन देओ।’’ कैत भई मैंने भैयाजी से विदा लई।
भैयाजी फेर के नाटू-नाटू गान लगे। औ उनकी सुन के मोय सोई गाबे की इच्छा होन लगी। रई नाटू खों ऑस्कर मिलबे की, सो सबई खों जे समझ लओ चाइए के औरीजल को दुनिया में पूछो जात आए नकलपट्टी को नोईं। औ रई संसद की तो उते होय, चाय विधानसभा होय, उते तो नाॅटी बतकाव होतई रैत आए। बाकी, बतकाव हती सो बढ़ा गई, हंड़ियां हती सो चढ़ा गई। अब अगले हफ्ता करबी बतकाव, तब लों जुगाली करो जेई की। सो, सबई जनन खों शरद बिन्ना की राम-राम!  
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