Wednesday, March 29, 2023

ट्रेवलर डॉ (सुश्री) शरद सिंह | बाघराज मंदिर सागर | धार्मिक पर्यटन


सागर शहर के मुख्य बस स्टैंड से करीब चार किलोमीटर दूर स्थित बाघराज मंदिर सागर का प्रमुख आस्था केंद्र है। यहां विराजमान मां हरसिद्धि के दर्शन व नवरात्र के नौ दिनों तक माता की विशेष पूजा-अर्चना के लिए भक्तों की लंबी-लंबी कतारें लगती हैं। मंदिर के बारे में किंवदंती है कि इस मंदिर में पहले एक बाघ का पहरा रहता था, जिस कारण मंदिर का नाम बाघराज नाम से भी प्रसिद्ध है।

कहते हैं कि बाघराज मंदिर का इतिहास सैंकड़ों साल पुराना है। यहां कभी घना जंगल हुआ करता था और जंगल में बाघों का राज था। इन्हीं में से एक बाघ इस मंदिर में आकर बैठ जाया करता था। इसी कारण इस मंदिर का नाम बाघराज मंदिर रखा गया। देवी प्रतिमा के सामने जिस जगह बाघ आकर बैठता था, वहां एक बड़े शेर की प्रतिमा भी स्थापित है। प्राचीन समय से ही यहां हरसिद्धि माता का भव्य मंदिर भी है। माता मंदिर के पास एक हनुमान मंदिर भी है। इसके नीचे एक आकर्षक गुफा है। बताया जाता है कि प्राचीन समय में यह गुफा रानगिर वाली मां हरसिद्धि के दरबार तक निकलने के लिए प्रयोग में ली जाती थी। सुरक्षा कारणों से अब यह बंद कर दी गई है।

मान्यता : मान्यता है कि बाघराज मंदिर में विराजमान मां हरसिद्धि भक्तों की मनोकामना पूरी करती हैं। इसलिए भक्त इस मंदिर को मनोकामना देवी मंदिर भी कहते हैं। श्रद्धालुओं का कहना है कि मंदिर घने जंगल के बीचों-बीच था, जहां बाघों का समूह रहता था। इन्हीं में से एक बाघ प्रतिदिन मां के दरबार में जाता था। उस समय दर्शन के लिए आने वाले लोगों को बाघ कभी नुकसान नहीं पहुंचाता था।


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