Monday, February 21, 2022

"किसी भी विधा को साधने के लिए साधना करना ज़रूरी है।" - डॉ (सुश्री) शरद सिंह

"किसी भी विधा को साधने के लिए साधना करना ज़रूरी है। डॉ विनीत मोहन औदिच्य ‘फ़िक्र सागरी’ की ग़ज़लें न केवल ख़ुद को एक उम्दा ग़ज़ल साबित करती हैं बल्कि शायर की मेहनत और साधना की भी ग़वाही देती हैं। उनके दोनों ही ग़ज़ल संग्रह बेहतरीन हैं और साहित्य को समृद्ध करने वाले हैं।" - विशिष्ट अतिथि के रूप में मैंने (यानी डॉ (सुश्री) शरद सिंह ने) अपने विचार प्रकट करते हुए कहा। अवसर था सागर नगर के शाइर एवं सॉनेटियर डॉ विनीत मोहन औदिच्य फ़िक़्र सागरी के दो ग़ज़ल संग्रह का लोकार्पण - "अंदाज़ ए सुख़न" और "कारवां ए सुख़न"।
     साहित्य भाषा कला और संस्कृति को समर्पित नगर की प्रतिनिधि संस्था श्यामलम द्वारा आयोजित इस लोकार्पण समारोह में मुख्य अतिथि के देश के प्रतिष्ठित शायर श्री अशोक मिज़ाज तथा अध्यक्षता की सुप्रसिद्ध साहित्य मनीषी डॉ सुरेश आचार्य ने। इस अवसर पर दोनों पुस्तकों पर दो समीक्षात्मक आलेख पढ़े गए । एक आलेख डॉ हरिसिंह गौर विश्वविद्यालय के हिंदी विभाग के चिंतनशील प्राध्यापक डॉ राजेंद्र यादव द्वारा प्रस्तुत किया गया तथा दूसरा आलेख उर्दू विभाग के विद्वान प्राध्यापक डॉ वसीम अनवर द्वारा प्रस्तुत किया गया। शाइर फ़िक़्र सागरी का परिचय पढ़ा संस्था के सचिव श्री कपिल बैसाखिया ने, संचालन किया श्री प्रदीप पाण्डेय ने तथा आभार प्रदर्शन किया सहसचिव श्री संतोष पाठक ने। आयोजन की संकल्पना तथा रूपरेखा थी संस्था के अध्यक्ष श्री उमाकांत मिश्र की, जिन्होंने उद्घाटन भाषण देकर कार्यक्रम का आगाज़ किया।
        आयोजन में विश्वविद्यालय के संस्कृत विभाग से डॉ शशि कुमार सिंह, हिंदी अधिकारी डॉ छबील कुमार मेहेर, हिंदी विभाग से डॉक्टर आशुतोष मिश्र तथा नगर से सर्वश्री जेपी पाण्डेय, आर के तिवारी, मुकेश तिवारी, टीआर त्रिपाठी, डॉ सरोज गुप्ता, डॉ श्रीमती चंचला दवे, श्रीमती सुनीला सराफ, श्रीमती नंदिनी आदि बड़ी संख्या में साहित्य मनीषियों की उपस्थिति रही। यह समारोह कल 20.02.2022 को होटल वरदान के सभागार में संपन्न हुआ।
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