"हम व्यक्ति की अनुपस्थिति में भी उसकी उपस्थिति का अनुभव कर सकते हैं उसके विचारों के रूप में... क्योंकि व्यक्ति मृत्यु को प्राप्त होता है लेकिन विचार कभी नहीं मरते हैं। विचार शाश्वत रहते हैं... और विचारों के रूप में वह व्यक्ति सदा हमारे साथ रहता है। आदरणीय महेंद्र फुसकेले जी भी अपने विचारों के रूप में सदा हमारे साथ हैं और रहेंगे।" आयोजन की अध्यक्षता करते हुए मैंने अपने यह उद्गगार सम्मुख रखे। मैंने यह भी कहा कि "महेंद्र फुसकेले जी ने सदा उन महिलाओं के बारे में चिंता की, जो घर, परिवार और समाज में दलित अवस्था में हैं। उनकी यह चिंता और चिंतन उनके साहित्य में भी स्पष्ट देखा जा सकता है।"
अवसर था "महेंद्र फुसकेले की वैचारिकता" पर प्रगतिशील लेखक संघ सागर इकाई का आयोजन जो 02 फरवरी को कामरेड,लेखक और उपन्यासकार स्व. महेन्द्र फुसकेले के जन्म दिवस पर आयोजित किया गया था। कार्यक्रम की अध्यक्षता मैंने यानी डॉ. (सुश्री) शरद सिंह ने की। महेन्द्र फुसकेले के व्यक्तित्व पर चर्चा करते हुए इकाई अध्यक्ष टीकाराम त्रिपाठी रूद्र बताया कि फुसकेले जी मानव सेवा को समर्पित रहे मजदूर, विवशताओ घिरे लोगो की सहायता वा साहित्य समाज से उनका लगातार जुड़ाव रहा। वे जीवन पर्यन्त कम्युनिस्ट विचार धारा को समर्पित रहे। कैलाश तिवारी विकल ने महेन्द्र फुसकेले के लिखे गये आलेख वा उनके विचारो के आलेखो का वाचन किया।सदस्यों डा गजाधर सागर,दीपा भट्ट, नम्रता फुसकेले,डा एम के खरे,मुकेश तिवारी,कैलाश तिवारी विकल,वृंदावन राय सरल, सतीश पाण्डे,वीरेंद्र प्रधान, डा अनिल जैन, डा नलिन जैन, पैट्रिस फुसकेले,डा दिनेश साहू ने उन पर परिचर्चा की,अपने अनुभव वा उनके उपन्यासों ,कविताओं और श्रम सेवी साहित्य पर सराहनीय चर्चा की एवं कविताएं सुनायी। महेन्द्र फुसकेले जी ने जीवनभर श्रमिक वर्ग के लोगो के लिए संघर्ष किया, सागर मे बीडी मजदूरो की दशा सुधारने कई आंदोलन किये, साहित्यक समारोहो का आयोजन सागर में उनके समय लगातार होते रहे,सेक्स वर्कर्स को जागरूक कर उन्हें उस दशा से बाहर निकालने कार्य किये,उन्होंने समाज की सामूहिकता वा संगठन की जरूरत पर जीवन भर बल दिया। सचिव पी आर मलैया जी ने कार्यक्रम का संचालन किया।
आयोजन में स्व. महेंद्र फुसकेले जी की अर्द्धांगिनी श्रीमती फुसकेले की उपस्थिति उल्लेखनीय एवं भावुक कर देने वाली रही क्योंकि वे अस्वस्थता के बावज़ूद उपस्थित हुईं। उनके पुत्र पेट्रिस फुसकेले तथा पुत्रवधू नमृता फुसकेले आयोजन में आधारभूत योगदान दिया।
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