Monday, February 28, 2022

उपन्यास लेखन की भी अपनी निजी चुनौतियां होती हैं। एक कथानक को संतुलित विस्तार देना और विविध पात्रों को उनका उचित स्पेस देते हुए रोचक तत्वों को समाहित करना सुगम नहीं होता है। - डॉ (सुश्री) शरद सिंह

"प्रदीप पांडेय का उपन्यास  'पक्षद्रोह' सटायर न होकर एक गंभीर उपन्यास है जो भ्रष्टाचार जैसे मुद्दे पर गंभीरता से सोचने का तीव्र आग्रह करता है। यह उपन्यास निश्चित रूप से पाठकों को पसंद आएगा और उन्हें चिंतन मनन के लिए विवश करेगा। एक समूचा कथानक रिश्वतखोरी के विरुद्ध आवाज़ उठाता है, यह भी अपने-आप में विशिष्टतापूर्ण है। वैसे उपन्यास लेखन की भी अपनी निजी चुनौतियां होती हैं। एक कथानक को संतुलित विस्तार देना और विविध पात्रों को उनका उचित स्पेस देते हुए रोचक तत्वों को समाहित करना सुगम नहीं होता है। कई बार अतिरेक में बह जाने का भय होता है लेकिन उपन्यास लेखन के क्षेत्र में पहलकदमी करते हुए प्रदीप पांडेय ने संतुलन बनाए रखा है जिससे उपन्यास  की रोचकता आद्योपांत बनी रहती है।" - अतिथि समीक्षक के रूप में मैंने अर्थात डॉ (सुश्री) शरद सिंह ने अपने उद्बोधन में कहा।
     📙अवसर था आज, 28.02.2022 को होटल वरदान के सभागार में सागर के युवा लेखक श्री प्रदीप पांडेय के प्रथम उपन्यास "पक्षद्रोह" का विमोचन समारोह। जिसके मुख्य अतिथि थे डॉ हरिसिंह गौर विश्वविद्यालय संस्कृत विभाग के अध्यक्ष एवं साहित्यकार डॉ आनंद प्रकाश त्रिपाठी, प्रसिद्ध व्यंग्यकार डॉ सुरेश आचार्य, विशिष्ट अतिथि थे सागर विधानसभा क्षेत्र के युवा नेता श्री नेवी जैन, अतिथि समीक्षक थी मैं डॉ (सुश्री) शरद सिंह।  उपन्यास पर विस्तृत चर्चा की अस्थि रोग विशेषज्ञ एवं कवि डॉ मनीष झा ने तथा कार्यक्रम का संचालन किया श्री आशीष ज्योतिषी ने।
         📙 श्यामलम संस्था द्वारा आयोजित इस कार्यक्रम में श्री उमाकांत मिश्र एवं संस्था के सदस्यों श्री हरीसिंह ठाकुर, श्री कुंदन पाराशर, श्री मुकेश तिवारी, श्री रमाकांत शास्त्री, श्री कपिल बैसाखिया, श्री शिवरतन यादव ने जहां लेखक का शाल श्रीफल एवं सम्मान पत्र द्वारा सम्मान किया गया वहीं अतिथियों को भी स्मृति चिन्ह एवं श्रीफल देकर सम्मानित किया गया। इस अवसर पर नगर के साहित्यकारों की बड़ी संख्या में उल्लेखनीय उपस्थिति रही।

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