"महेंद्र सिंह के सृजन की यह है खूबी है कि वह अपनी ग़ज़लों के द्वारा सीधे समय से संवाद करते हैं और सोए हुए जनमानस को झकझोरते हैं, धिक्कारते हैं, फटकारते हैं और अव्यवस्था के कैनवास पर जनमत के रंगों से सुव्यवस्था का सुंदर चित्र बना देना चाहते हैं। इन ग़ज़लों का स्वर जनवादी है इन्हें बिना किसी राजनीतिक चश्मे के पढ़ा जाना चाहिए। वैसे जनवादी स्वर की ग़ज़लें पसंद करने वालों के लिए यह एक महत्वपूर्ण संग्रह है।" - श्री महेंद्र सिंह की ग़ज़लगोई की विशेषताओं की चर्चा करते हुए अपने समीक्षात्मक उद्बोधन में डॉ (सुश्री) शरद सिंह अर्थात मैंने कहा। अवसर था कवि श्री महेंद्र सिंह (भोपाल) के ग़ज़ल संग्रह "कितना सन्नाटा है" का विमोचन कार्यक्रम का।
प्रगतिशील लेखक संघ सागर इकाई के द्वारा श्यामलम संस्था के सहयोग से कल शाम (15.01.2023) को अपराह्न पुस्तक विमोचन का स्धानीय गणेश एंजोरा मैरिज हॉल में आयोजन किया गया। जिसमें मध्य प्रदेश प्रगतिशील लेखक संघ के पूर्व प्रांतीय अध्यक्ष श्री राजेंद्र शर्मा , प्रांतीय पूर्व महासचिव शैलेंद्र शैली, कवि अरविंद मिस्र (भोपाल) ने संबोधित किया।कार्यक्रम की अध्यक्षता अपने कृष्णभक्ति काव्य "ब्रजरज" के लिए विख्यात शायर मायूस सागरी ने की।
इस अवसर पर मेरे सहित डॉ गजाधर सागर, श्रीमती निरंजना जैन, श्रीमती नम्रता फुसकेले ने समीक्षा प्रस्तुत की। स्वागत भाषण दिया इकाई के महासचिव श्री पैट्रिस फुसकेले ने, कार्यक्रम का संचालन कवि एवं साहित्यकार टी.आर.त्रिपाठी के द्वारा किया गया एवं आभार प्रदर्शन मकरोनिया इकाई के अध्यक्ष डॉ सतीश पाण्डेय ने किया।
🌷 छाया चित्रों के लिए मुकेश तिवारी जी, शैलेंद्र शैली जी तथा सुश्री भावना बड़ोन्या का हार्दिक आभार 🙏
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