"गोपाल दास नीरज गहन संवेदनाओं के कवि थे। नीरज के काव्य ने साहित्य, मंच और फिल्मी दुनिया के बीच सेतु का काम किया। उनके युग तक खुले कविसम्मेलनों और बॉलीवुड में साहित्य का बोलबाला रहा और चुटकुलेबाज़ी को प्रवेश नहीं मिला।" विशिष्ट अतिथि के रूप में उद्बोधन देते हुए डॉ (सुश्री) शरद सिंह यानी मैंने अपने विचार व्यक्त किए। अपने उद्बोधन के अंत में नीरज जी के एक गीत की कुछ पंक्तियां गाए बिना मैं नहीं रह सकी।
अवसर था श्यामलम संस्था के सहयोग से संभावना समग्र विकास समिति द्वारा आयोजित सुप्रसिद्ध कवि गोपालदास नीरज का जयंती समारोह। मुख्य अतिथि थे विश्वविद्यालय के संस्कृत और हिन्दी विभागाध्यक्ष डॉ आनंद प्रकाश त्रिपाठी, अध्यक्षता की गज़लकार डा गजाधर सागर ने तथा विशिष्ट अतिथि डॉ (सुश्री) शरद सिंह, गीतकार डॉ श्याम मनोहर सिरोठिया तथा रंगकर्मी श्री जगदीश शर्मा।
दूसरे सत्र में नीरज जी के लोकप्रिय और क्लासिकल गीतों की सिम्फनी म्यूजिकल ग्रुप द्वारा शानदार प्रस्तुति की गई।
आयोजन के सूत्रधार थे रंगकर्मी डॉ अतुल श्रीवास्तव एवं श्रीमती रचना तिवारी। बेहतरीन संचालन किया श्री सतीश साहू ने।
छायाचित्र सौजन्य साभार : श्री मुकेश तिवारी जी 🙏
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