"आज के दौर में जब बच्चे माता-पिता तथा परिवार की वरिष्ठ जन से विराट होते जा रहे हैं दूर होते जा रहे हैं ऐसे समय में विद्यार्थी जी की कविताओं का बहुत अधिक महत्व है यह कविताएं बड़ों के प्रति रागात्मक व्यवहार का अनुमोदन करती हैं यह जननी तथा जनक के महत्व को स्थापित करती हैं। माता-पिता पर केंद्रित कविताएं जहां संवेदनशील और भावपूर्ण है वही उनकी सामाजिक अर्थवत्ता बहुत अधिक है।" बतौर अतिथि समीक्षक मैंने अपने विचार रखे। अवसर था स्थानीय कवि श्री संतोष श्रीवास्तव "विद्यार्थी" के काव्य संग्रह "सब तेरे सत्कर्मी फल हैं" के लोकार्पण का।
श्रीसरस्वती पुस्तकालय एवं वाचनालय के सभागार में आयोजित इस लोकार्पण समारोह की अध्यक्षता की श्री शुकदेव प्रसाद तिवारीने। मुख्य अतिथि थे डॉ. श्याम मनोहर सिरोठिया, विशिष्ट अतिथि
शायर मायूस सागरी तथा डॉ आशीष ज्योतिषी। समीक्षक वक्ता थे श्री टी. आर. त्रिपाठी जी तथा मैं डॉ. (सुश्री) शरद सिंह। कार्यक्रम का संचालन किया "आज के दौर में जब बच्चे माता-पिता तथा परिवार की वरिष्ठ जन से विराट होते जा रहे हैं दूर होते जा रहे हैं ऐसे समय में विद्यार्थी जी की कविताओं का बहुत अधिक महत्व है यह कविताएं बड़ों के प्रति रागात्मक व्यवहार का अनुमोदन करती हैं यह जननी तथा जनक के महत्व को स्थापित करती हैं। माता-पिता पर केंद्रित कविताएं जहां संवेदनशील और भावपूर्ण है वही उनकी सामाजिक अर्थवत्ता बहुत अधिक है।" बतौर अतिथि समीक्षक मैंने अपने विचार रखे। अवसर था स्थानीय कवि श्री संतोष श्रीवास्तव "विद्यार्थी" के काव्य संग्रह "सब तेरे सत्कर्मी फल हैं" के लोकार्पण का।
श्रीसरस्वती पुस्तकालय एवं वाचनालय के सभागार में 05.03 .2024 आयोजित इस लोकार्पण समारोह की अध्यक्षता की श्री शुकदेव प्रसाद तिवारीने। मुख्य अतिथि थे डॉ. श्याम मनोहर सिरोठिया, विशिष्ट अतिथि
शायर मायूस सागरी तथा डॉ आशीष ज्योतिषी। समीक्षक वक्ता थे श्री टी. आर. त्रिपाठी जी तथा मैं डॉ. (सुश्री) शरद सिंह। कार्यक्रम का संचालन किया डॉ नलिन जैन तथा श्री पुष्पेंद्र दुबे ने।
इस अवसर पर डॉ एमडी त्रिपाठी, श्रीमती ममता त्रिपाठी, श्री आर के तिवारी, श्री वीरेन्द्र प्रधान, डॉ अखिलेश जैन,श्री पेट्रिस फुसकेले, श्रीमती नमृता फुसकेले, डॉ चंचला दवे, श्री पूरन सिंह राजपूत आदि बड़ी संख्या में साहित्यकार उपस्थित थे।
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