#प्रथमदिन #नईदिल्लीमें #साहित्यअकादमी
🚩 रवींद्र भवन के अकादमी परिसर में आयोजित विश्व के सबसे बड़े साहित्योत्सव ... मेरा प्रथम दिवस ... सबसे पहले मीराबाई सभागार ढूंढना था मुझे, जहां अगले दिन मेरा कहानी पाठ था। वहां व्यवस्थाएं इतनी अच्छी थीं कि मीराबाई सभागार का तुरंत पता चल गया ... और संयोग कि मीराबाई सभागार के द्वार पर ही भेंट हो गई महुआ माजी से। एक ज़िंदादिल महिला। हम कई वर्ष बाद मिले।
🌹 इसके बाद पूर्व परिचितों से मिलने का सिलसिला चल निकला... डॉ बलराम जी, डॉ शिवनारायण जी, डॉ उर्मिला शिरीष जी, अशोक मिश्र जी, डॉ दामोदर खड़से जी, डॉ मीनाक्षी जोशी जी ...। बोधिसत्व जी, आभा बोधिसत्व जी और शकुंतला तरार जी से यूं तो परिचय रहा किन्तु भेंट पहली बार हुई... यह बात और है कि ऐसा लगा नहीं कि पहली बार मिल रहे हैं... हंसी के ठहाके और आत्मीयता का माहौल ...
इस दौरान गहन चर्चाएं भी हुईं और सहभोज का आनंद भी लिया... कई सत्र अटैण्ड किए .... चिंतन मनन के लिए ढेर सारी ख़ुराक मिली... प्रत्येक सत्र बहुभाषी थे अतः विभिन्न भाषाओं की प्रतिनिधि अपने विचार कहानी, कविता एवं अनुभवों के रूप में सामने रख रहे थे .... अत्यंत सारगर्भित...
बहरहाल, चर्चाओं की विस्तार से चर्चा फिर कभी ... शाम लगभग छ: साढ़े छ: बजे एक रेस्टोरेंट की ओर निकल पड़ी गोलगप्पे खाने ... मित्रों का साथ हो तो गोलगप्पे और स्वादिष्ट लगते हैं 😀...
🍿 रेस्टोरेंट जाते समय मुझे नहीं पता था कि उसे रेस्टोरेंट में एक बिग सरप्राइस मेरा इंतजार कर रहा है....
Date : 13.03.2024
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