Friday, March 1, 2024

हिंदी मीडियम कॉलेज में पहली बार संस्कृत के नाटक का अंग्रेजी • संवादों में सफल मंचन, इससे छात्राओं में आत्मविश्वास भी जगेगा• समीक्षा- डॉ. (सुश्री) शरद सिंह, कला समीक्षक एवं वरिष्ठ साहित्यकार

29.02.2024 को बतौर कला समीक्षक नगर के हिंदी मीडियम कॉलेज में पहली बार संस्कृत के नाटक का अंग्रेजी मंचन किए जाने को देखने का आमंत्रण मिला। नाटक देखने के उपरांत मेरे द्वारा लिखा गया समीक्षा-लेख आज "दैनिक भास्कर" ने प्रकाशित किया है।
       सीमित साधनों के साथ नाटक के उत्तम प्रदर्शन पर एक ही शब्द बनता है - "BRAVO !!!"
🚩 हार्दिक आभार दैनिक भास्कर 🙏
🚩हार्दिक धन्यवाद प्राचार्य डॉ. आनंद तिवारी,  युवा उत्सव प्रभारी डॉ. अंजना चतुर्वेदी तिवारी तथा डॉ. निशा इंद्र गुरु 🙏
🚩 नाटक में अभिनयकर्ता सभी छात्राओं को हार्दिक बधाई💐
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प्रस्तुत है समीक्षा....
हिंदी मीडियम कॉलेज में पहली बार संस्कृत के नाटक का अंग्रेजी • संवादों में सफल मंचन, इससे छात्राओं में आत्मविश्वास भी जगेगा
• समीक्षा-
डॉ. शरद सिंह, कला समीक्षक एवं वरिष्ठ साहित्यकार
     शासकीय स्वशासी कन्या स्नातकोत्तर  उत्कृष्टता महाविद्यालय के छात्रसंघ द्वारा आयोजित वार्षिक स्नेह सम्मेलन मुक्ताकाशी मंच पर कालिदास के सुप्रसिद्ध नाटक 'अभिज्ञान शाकुंतलम' का अंग्रेजी संवाद अदायगी के साथ मंचन हुआ। महाविद्यालय के इतिहास में यह प्रथम प्रयास था जिसमें छात्राओं ने अपने नाट्य कौशल की छटा बिखेर दी। डॉ. निशा इंद्र गुरु द्वारा अंग्रेजी में अनुदित तथा लिखित इस नाटक का निर्देशन निर्देशन रोहित रजक ने किया। 'अभिज्ञान शाकुंतलम' कालिदास की वह कालजयी कृति है जो आदिसंस्कृति का भावनात्मक परिदृश्य प्रस्तुत करती है। इस नाटक के मर्म को आत्मसात किए बिना इसे किसी भी भाषा में रुपांतरित तथा संक्षेपीकरण करना एक दुष्कर एवं चुनौती भरा कार्य है। संस्कृत में लिखे गए मूल नाटक में प्रेम, नियति तथा स्त्री-स्वाभिमान का उत्कृष्ट संयोजन है। यह कहना होगा कि डॉ. गुरु ने मूल नाटक को अंग्रेजी में संक्षेपीकरण कर बहुत ही खूबसूरती से संवाद योजना तैयार की। उन्होंने नाटक की मूल आत्मा को सहेजते हुए स्त्री स्वाभिमान को परिष्कृत ढंग से उभारा।
         हिंदी मीडियम महाविद्यालय में अंग्रेजी नाटक प्रस्तुत करना आसान काम नहीं है। परंतु नाटक में अभिनय करने वाली छात्राओं ने न केवल कमाल का अभिनय किया बल्कि संवाद की प्रस्तुति - में भी अपनी महारत प्रकट की। छोटे-बड़े संवाद इस तरह धारा प्रवाह बोले गए कि परिसर में उपस्थित सभी छात्राएं एवं अतिथि मंत्रमुग्ध होकर नाटक देखते रहे। सभी पात्रों ने बिना अटके, बिना प्रॉम्प्टिंग के अपने संवाद पूरे उतार-चढ़ाव के साथ प्रस्तुत किए। अंग्रेजी में प्रस्तुत 'अभिज्ञान शाकुंतलम' में राजा दुष्यंत एवं शकुंतला का मिलन, प्रेमाकुल होकर गंधर्व विवाह करना, फिर दुष्यंत का अपने राज्य लौट जाना, प्रेम में निमग्न शकुंतला द्वारा अनजाने में ऋषि दुर्वासा की अवहेलना, दुर्वासा द्वारा शकुंतला को शाप देना, शाप के कारण दुष्यंत का शकुंतला को भूल जाना, कालांतर में अंगूठी के माध्यम से शाप का टूटना और शकुंतला तथा पुत्र भरत से दुष्यंत का मिलाप... इन मुख्य घटनाओं को पिरोया गया। इससे नाटक की संपूर्ण कथावस्तु एवं घटनाक्रम को समझना आसान था। नाटक में आवश्यकतानुसार युद्ध के दृश्य, राक्षस तथा हिरण, शेर आदि वन्य पशुओं की वेशभूषा का समन्वय कर इसे एक अलग ही उच्च स्तर पर पहुंचा दिया गया। नृत्य मुद्राओं का भी सुंदर समावेश रहा। पात्रों की वेशभूषा कालिदास के नाटक के अनुरूप समसामयिक थी। दुष्यंत की भूमिका में दीपाली पांडे ने बेहतरीन अदाकारी की। उनके मुकाबले शकुंतला की मुख्य भूमिका में रही गुंजन नामदेव की मुखमुद्रा आरम्भ में कहीं-कहीं भावहीन दिखाई पड़ी किन्तु उत्तरार्ध में उन्होंने भी अपने अभिनय के साथ न्याय किया। पात्रों का वस्त्र विन्यास सटीक था किन्तु केश सज्जा में एक-दो स्थानों पर चूक हुई। सबसे अंतिम दृश्य में कण्व ऋषि के बालों का जूड़ा सिर के ऊपरी भाग में जटानुमा न बांध कर सिर के पार्श्व भाग में बांधा गया जिससे वह पुरुष पात्र स्त्री की भांति प्रतीत हो रहा था। यद्यपि कण्व का रोल निभा रही छात्रा ने उम्दा अभिनय किया। इस प्रकार की छोटी-छोटी कमियों का होना स्वाभाविक है। क्योंकि प्राचार्य डॉ. आनंद तिवारी एवं युवा उत्सव प्रभारी डॉ. अंजना चतुर्वेदी तिवारी के सहयोग से मात्र दो व्यक्तियों रोहित रजक तथा डॉ. गुरु द्वारा तैयार किया गया नाटक था यह।
      दोपहर को मुक्ताकाश मंच पर मंचित होने के कारण लाइट इफैक्ट की आवश्यकता नहीं रही। पार्श्व संगीत प्रभावी था जो संवाद के भावों को अच्छा सपोर्ट दे रहा था। छात्राओं की नाट्य क्षमता एवं प्रस्तुति की उत्तमता में किसी भी दृष्टि से कमी नहीं थी और जो कमियां थीं उन्हें आगामी नाटक की तैयारी के दौरान मेकअप आर्टिस्ट, कास्ट्यूम डिजाइनर, स्टेज डिजाइनर आदि को पारिश्रमिक के आधार पर लेकर दूर की जा सकती हैं। अंग्रेजी संवाद में नाटक की पहल छात्राओं में अंग्रेजी भाषा के प्रति भय को दूर करने तथा आत्मविश्वास जगाने का भी काम करेगी।
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महाविद्यालय की कलाकार छात्राओं के साथ तथा नाटक के कुछ दृश्य...

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