Sunday, March 27, 2022

मोहन राकेश लिखित नाटक 'आषाढ़ का एक दिन' का नाट्यमंचन एवं नाट्यलेखिका डॉ (सुश्री) शरद सिंह द्वारा आचरण समाचारपत्र में समीक्षा रिपोर्ट

मित्रो,पढ़िए मेरी समीक्षात्मक रिपोर्ट विश्व रंगमंच दिवस पर अथग द्वारा मंचित किए गए नाटक"आषाढ़ का एक दिन" की...
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नाटक की समीक्षा : 'अथग' की अद्वितीय प्रस्तुति ने दर्शकों का मन मोह लिया

विश्व रंगमंच दिवस पर "आषाढ़ का एक दिन" का मंचन

- डॉ (सुश्री) शरद सिंह
नाट्यलेखिका एवं कलासमीक्षक

विश्व रंगमंच दिवस पर नाट्य संस्था अन्वेषण थिएटर ग्रुप द्वारा मोहन राकेश रचित नाटक "आषाढ़ का एक दिन"  का मंचन किया गया। दो दिवसीय आयोजन के पहले शो में ही दर्शकों की भारी भीड़ ने नाट्य प्रदर्शन के प्रति अपनी रुचि साबित कर दी। नगर की नाट्य संस्थाओं में "अथग" सबसे प्रतिष्ठित नाम है। इसने  नामचीन कलाकार मंच को दिए हैं। अपनी गरिमा के अनुरूप चुनौती भरा नाटक "आषाढ़ का एक दिन" अथग द्वारा रवींद्र भवन सभागार में प्रस्तुत किया। मोहन राकेश के इस नाटक को निर्देशित किया वरिष्ठ निर्देशक एवं रंगकर्मी जगदीश शर्मा ने। उल्लेखनीय है कि मोहन राकेश के इस नाटक का प्रथम मंचन 1958 में हुआ था और इसे पहला आधुनिक हिंदी नाटक माना जाता है। इस नाटक को 1959 में सर्वश्रेष्ठ नाटक के लिए संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार मिला और इसके बाद कई प्रसिद्ध निर्देशकों द्वारा इसका मंचन किया गया। नाटक में कालिदास के जीवन को सार्थक करने के लिए मल्लिका के त्याग की कहानी है। मल्लिका का जीवन पीड़ा के चरमोत्कर्ष पर पहुंच जाता है और कालिदास यह कहते हुए कि समय किसी की प्रतीक्षा नहीं करता उसे छोड़कर चले जाते हैं। इस नाटक में भावप्रवणता की प्रधानता है जिससे मंजे हुए कलाकार ही प्रभावी ढंग से इसे मंचित कर पाते हैं। कालिदास की भूमिका में जगदीश शर्मा तथा मल्लिका की भूमिका में दीपगंगा साहू के बेजोड़ अभिनय को दर्शकों ने खूब सराहा। इनके साथ ही विलोम की भूमिका में कपिल नाहर, अम्बिका की भूमिका आयुषी चौरसिया, प्रियंगु मंजरी की भूमिका में करिश्मा गुप्ता, मातुल की भूमिका में मनोज सोनी का अभिनय भी सराहनीय रहा। कई दृश्य ऐसे हैं जिन्हें देखकर दर्शक भावुक हो उठे यह अभिनय की सफलता थी। मंच पर जिन्होंने अभिनय किया वे कलाकार थे - आयुषी चौरसिया, दीप गंगा साहू, जगदीश शर्मा, समर पांडे, मनोज सोनी, संदीप दीक्षित, कपिल नाहर, प्रवीण कैम्या, दीपक राय, करिश्मा गुप्ता।
    मंच सज्जा, संगीत, वस्त्र विन्यास तथा प्रकाश व्यवस्था की कथानक के अनुकूल प्रस्तुति ने कालिदास के समय को मंच पर जीवंत कर दिया। मंच प्रबंधन डॉ. अतुल श्रीवास्तव का, संगीत पार्थो घोष और यशगोपाल श्रीवास्तव (स्टूडियो अनश्ते) का, दृश्य परिकल्पना राजीव जाट संगीत एवं ध्वनि प्रभाव संचालन ग्राम्या चौबे, सेट निर्माण अश्विनी साहू एवं प्रेम जाट तथा ब्रोशर डिजाइन तरुणय सिंह ने किया एवं वस्त्र विन्यास जगदीश शर्मा एवं राजीव जाट का था। भोपाल के रंगकर्मियों का भी योगदान रहा जिसमें गायन और गीत रचना आशीष चौबे , प्रकाश परिकल्पना कमल जैन तथा रूप सज्जा शराफत अली की थी।
     नाट्यसंस्कृति को सागर में स्थापित एवं विकसित करने का श्रेय अथग को है। एक बार फिर इस नाट्यग्रुप ने अद्वितीय प्रस्तुति दे कर दर्शकों का मन मोह लिया।
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