मित्रो, संस्कृत विद्वान डॉ राधावल्लभ त्रिपाठी जी का व्याख्यान सुनना हमेशा सुखद लगता है क्योंकि वे संस्कृत वांग्मय को आधुनिक दृष्टि से आकलन करते हुए अपनी बात सामने रखते हैं। जिससे संस्कृत वांग्मय की वास्तविक उपादेयता एवं समसामयिक मूल्यवत्ता को समझने में सुगमता होती है। आज भी राधावल्लभ त्रिपाठी जी का व्याख्यान सुनने का सुअवसर प्राप्त हुआ।
डॉ हरिसिंह गौर केंद्रीय विश्वविद्यालय के संस्कृत विभाग एवं कालिदास संस्कृत अकादमी, मध्यप्रदेश संस्कृति परिषद उज्जैन के संयुक्त तत्वावधान में "मध्य प्रदेश का आधुनिक संस्कृत साहित्य एवं पं. प्रेमनारायण द्विवेदी" विषय पर व्याख्यानमाला "सारस्वतम" का आयोजन किया गया। जिसमें मुख्य वक्ता थे डॉ राधावल्लभ त्रिपाठी जी। कार्यक्रम का संचालन किया संस्कृत विभाग के विद्वान प्राध्यापक डॉ नौनिहाल गौतम जी ने।
संस्कृत के विभागाध्यक्ष आनंद प्रकाश त्रिपाठी तथा वरिष्ठ प्राध्यापक डॉ शशि कुमार सिंह की संकल्पना एवं प्रयासों से इस प्रकार के उत्कृष्ट आयोजन संस्कृत विभाग द्वारा निरंतर होते रहते हैं और नगर के साहित्यकारों को भी इन आयोजनों में आत्मीयता से आमंत्रित किया जाता है जिससे एक सुखद और स्वस्थ परंपरा स्थापित हो रही है।
यह आयोजन अंग्रेजी विभाग के सभागार में सम्पन्न हुआ। इसमें विभागीय प्राध्यापकों छात्रों शोधार्थियों के साथ ही नगर के साहित्यकारों श्री हरगोविंद विश्व, डॉ गजाधर सागर, श्री पीआर मलैया, श्री वीरेंद्र प्रधान, श्री मुकेश तिवारी और मैं डॉ (सुश्री) शरद सिंह की उल्लेखनीय उपस्थिति रही।
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