Friday, March 14, 2025

होली स्पेशल | बुरौ ने मानो होरी है | डॉ (सुश्री) शरद सिंह | सागर के नेताओं की होली | 'पत्रिका' में प्रकाशित

होली स्पेशल...(सागर के नेताओं की होली)
'पत्रिका' में प्रकाशित
बुरौ ने मानो होरी है !!!
        - डॉ (सुश्री) शरद सिंह

बुरौ ने मानो होरी है !!! 
होरी हैं बरजोरी है,
कारी दिख रई गोरी है 
ऊंसई जोरा-जोरी है 
जोन ने पकरी कुर्सी भैया 
कोनऊ ने ना छोरी है 
बाकी भंग चढ़ो कछु ऐसो 
राजा संग बहोरी है 
       सो, होरी को रंग औ घोटों गओ भंग बड़ो-बड़ो कमाल कर सकत आए। भंग की तरंग में कछू को कछू दिखान लगत आए और कछू को कछू सुनाई परन लगत आए। अबकी बेर कछू ऐसई हो रओ। ने मानो तो खुदई देख लेओ। बाकी जे हाथ जोर के बिनती आए के बुरौ ने मानियो औ जो तनकऊं बुरौ लगे तो भांग के गिलास की ठंडाई चढ़ा लइयो तनक सीन देखो -

     होली के दिन संकारे महापौर जू से तिवारी जू ने पूछी के 'गूझा-पपड़ियां बन गई के नईं?' 'काए नई बन गईं, आप खों तो जनता की परी रैत आए, घरे ध्यान देओ तो पता परे के घरे का पक रओ औ का नई पक रओ!' महापौर जू ने भैया जू खों फटकार लगाई।

भैया कछू कै पाते के इत्ते में रंग वारो एक गुब्बारो उनके मूंड़ पे आन गिरो। बे गुस्सा होत भए चिचियाएं, 'को आ रे? कोन ने संकारे से हम पे जो रंग डारो ?' 
"माफ करियो भैया, जा रंग को गुब्बारों मेकों तो रओ कैनऊ औ के ऊपरे, मनो जे आपके मूड़ पे आन गिरो।' सागर विधायक धोती उठात भय बोले... 'काय, तुमाओ निसानो कब से चूकन लगो?' तिवारी जू ने चुटकी लई।

विधायक जू हंसन लगे। बाकी बे कछू बोल पाउते के भौजी उते आ गई औ बे कैन लगीं के 'तुम ओरें जा सब बतकाव छोड़ो! हमाओ हाथ बंटाओ! अबे हमें तला में भांग घुरवाने, जीसे शहर में होरी को कछू माहौल तो बने।'

'जा काम तो आप हम पे छोड़ो भौजी, ईके लाने हम तो आएं।' कैत भए भाजपा अध्यक्ष जू हाथ जोर के सामने आ ठाड़े भए। 
'तुमाओ काए? जो हमाओ काम आए ! नगर निगम अध्यक्ष ने टंगड़ी मारी। 

इत्ते में शिवसेना वारे तिवारी सोई आंगू कूंद परे औ कैन लगे के 'औं हमें सोई बताओ के कां भांग मिलाने औ कां लट्ठ घुमाने?'

जा सब देख सुन रए एक पत्रकार भैया से ने रई गई, वे अपनो मूंड़ घुसात भए पूछन लगे, "आप ओरें घरघूला सो खेल रए। आप ओरें अपनी सांसद के संगे होली ने खेलहो का? 'काए ने खेलबी? उनके संगे खेलबी, अपने सुरखी वारे भैया के संगे औ खुरई वारे भैया के संगे सोई होरी खेलबी। हम ओरें तो निकरई जेई लाने आएं।' उतई ठाड़े कछु छुटभैया हरें बोले।

तभई उते मों बाए ठाड़ो एक 
थको-थको सो आदमी बोल परो, "औ हमाए संगे होरी को खेलहे?"

"तुम को आ?" सबई एक संगे ऊसे पूछ बैठे।
'हम कांग्रेसी आएं!' बा आदमी बोलो।
-'अरी दइया! तनक ईको गूझा-पपड़ियां तो लान देओ ! तनक ऊ भांग वारी दइयो, कम से कम आज तो ईको अच्छे दिन दिख जाएं।' तिवारी जू ने भौजी खों टेर लगाई।
अब ऊको अच्छे दिन दिखाने के नई जो पतो ने पर पाओ, काए से के उते हुरियारे आ गए औ मचन लगो धमाल! औ जो सारो सीन हतो भांग पिए को कमाल ! काए से के होरी है, बरजोरी है!!

- डॉ. शरद सिंह, द्वारा लिखित बुंदेली फाग
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🚩हार्दिक धन्यवाद पत्रिका 🎉🙏🎉
🙏पत्रिका परिवार को होली की रंगारंग बधाई 🙏
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