Wednesday, March 5, 2025

भारतीय ज्ञान परंपरा | पुस्तक | भारतीय भाषा लोक : वैविध्य और वैशिष्ट्य | कालजयी होने के तत्व हैं प्रवाहमान बुंदेली में | डॉ (सुश्री) शरद सिंह

डॉ. हरिसिंह गौर केंद्रीय विश्वविद्यालय सागर द्वारा गौर ज्ञान संगम-2 के अंतर्गत प्रकाशित पुस्तक "भारतीय भाषा लोक : वैविध्य और वैशिष्ट्य" में मेरा लेख  "कालजयी होने के तत्व हैं प्रवाहमान बुंदेली में" शामिल करने के लिए संपादक डॉ. शशिकुमार सिंह जी का हार्दिक धन्यवाद, आभार 🙏 
    संपादक मंडल  विश्वविद्यालय कुलपति डॉ नीलिमा गुप्ता, डॉ अजीत जायसवाल, डॉ संजय शर्मा तथा डॉ अनिल कुमार तिवारी जी का भी हार्दिक आभार 🙏
      उल्लेखनीय बात यह भी है कि इस पुस्तक का लोकार्पण महाकुंभ प्रयाग में किया गया था।
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