बुंदेली कॉलम | बतकाव बिन्ना की | डॉ (सुश्री) शरद सिंह | प्रवीण प्रभात
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बतकाव बिन्ना की
बा नोटों को ढेरी कैसी दिखत हुइए?
- डॉ. (सुश्री) शरद सिंह
आज बड़े मजे की भई। भओ का के बरहमेस भैयाजी मोबाईल देखत मिलत आएं, पर आज भौजी मोबाईल पे पिली हतीं। मैंने सोची के कछू पकवान बनाबे की विधि देख रई हुइएं, मनो बा वीडियो से आवाज कछू औरई टाईप की आ रई हती। पैले मैंने सेाची के चलो देख लेन देओ उने, काए खों उने डिस्टर्ब करो जाए। जेई सोच के मैं भैयाजी से बतकाव करन लगी। जेई कछू पंद्रा-बीस मिनट बाद मैंने देखी के भौजी अबे लौं मोबाईल पे टिकटिकी लगाए जुटी आएं। बे इत्ते लग के कभऊं मोबाईल नईं देखत आएं, सो मोरे पेट में गुड़गुड़ी मचन लगी के बे ऐसो का देख रईं? मोसे ने रओ गओ सो मैंने पूछई लओ।
‘‘काए भौजी, का आ देख रईं?’’
‘‘अरे बा वाली वीडियो, बा नोटन वारी।’’ भौजी ने बोली तो मनो उन्ने मोबाईल से नजर ने हटाई।
‘‘बोई नोटन वारी जोन आगी में जल गए?’’ मैंने फेर के पूछी।
‘‘हऔ बोई वारी।’’ भौजी बोलीं।
‘‘बा तो तनक सी वीडियो आए, आप बोई खो इत्ती देर से देख रईं?’’ मोए अचरज भओ।
‘‘नईं, हम ऊकी दूसरी वीडियो ढूंढ रए जोन में नोटों की ढेरी दिखा जाए। बिगैर जली वारी।’’ भौजी मोबाईल पे उंगरिया चलात भई बोलीं। अब मोए समझ परी के भौजी स्क्राल कर-कर के दूसरी वीडियो ढूंढ रई हतीं।
‘‘भौजी, आप बी गजबई करत आओ!’’ मैंने भौजी खों टोंको।
‘‘काय, हमने का करी?’’ भौजी ने पूछी। उनकी नजर मोबाईलई पे टिकी रई।
‘‘आपने कछू करो नईं, बाकी आपने कछू सोचो बी नईं।’’मैंने भौजी से कई।
‘‘हमें का सोचने?’’ भौजी ने पूछी।
‘‘अरे, जे तो सोचो आप के साजी नोटों की ढेरी की वीडियो आपके लाने कां से आ जैहे? बा तो आगी लगी सो पता परी के जज साब के लिंगे इत्ते नोट धरे हते। साजी नोटों की ढेरी की वीडियो को मतलब आए के आगी लगी के पैले की होनी चाहिए। औ जो पैले कोनऊं ऐसी वीडियो चलती तो उने इते छापो ने पर जातो? बे तो लुका के धरे हते।’’ मैंने भौजी खों समझाई।
‘‘हऔ, जा तो हमने सोची नईं।’’ भौजी ने कैत भए मोबाईल एक तरफी धरी।
‘‘जेई तो मैं कै रई, भौजी के साजे नोटों की ढेरी की वीडियो आपको ने मिलहे।’’ मैंने फेर के भौजी से कई।
‘‘हाय रे! एकाद तो कोऊ ने डार दई होती। तनक देख तो लेती के नोटों की ढेरी दिखात कैसी आए।’’ भौती तनक दुखी होत भई बोलीं।
‘‘अपनो जी छोटो ने करो भौजी! को जाने, कोऊ दिनां कोनऊ औ साब जी के इते की साजे नोटों की ढेरी की वीडियो देखबे खों मिल जाए। काय से के अपने इते कमाबे-खाबे वारन की कमी नोंई।’’ मैंने भौजी खों तसल्ली दी।
‘‘हऔ सई कै रईं बिन्ना! मनो देख तो बिन्ना, के ऊके जी पे कैसी गुजरी हुइए जोन के जे नोट बर गए। जे जाने कां-कां से जोरे हुइंए ऊने इत्ते सारे नोट।’’ भौजी खों बा जज साब से सहानुभूति हो रई हती।
‘‘पर आप जे बी तो सोचो भौजी, के इन नोटन के लाने कितेक गलत काम करे गए हुइएं।’’ मैंने भौजी खों टोंको।
‘‘जेई से तो, उने तो औ गम्म हो रओ हुइए।’’ भौजी ने कई।
‘‘अब बे भले कैत रएं के बे पइसा उनके नईयां, सो फेर बे उनके इते कर का रए हते? बे का पाउना रए के उते ठैरे रए हुइएं?’’ मैंने कई।
‘‘अरे बिन्ना! जित्ती बड़ी कुर्सी, उत्ती कमाई। जे तो अपने इते हमेसई से होत रओ।’’ हम ओरन की बतकाव सुनत-सुनत भैया जी बोल परे।
‘‘हऔ भैयाजी, आपने सई कई।’’ मैंने भैयाजी की बात को समर्थन करो।
‘‘बाकी बिन्ना, हम जा सोचत आएं के जोन खो अच्छी-भली तनखा मिलत आए, बे काए के लाने गरीबन को गला मसकत आएं?’’ भैयाजी सोचत भए बोले।
‘‘गरीबन को गला तो एक चपरासी लौं मसक लेत आए। कोनऊं दफ्तर में जाओ औ जो बड़े साब से मिलने होय तो पैले दोरे पे बिराजे चपरासी देव खों खुस करने परत आए। औ फेर कछू औ काम होय तो बाबू हरों खों खुस करो, तब कऊं जा के पतो परतो आए के काम हो पाहे के नईं।’’ मैंने कई।
‘‘बिन्ना! चाए कोनऊं सरकार होय पर जे खाबे-पीबे में लगाम ने लगा पाउत आए। भ्रष्टाचार ऊंसई टुन्नात रैत आए। जो भ्रष्टाचार ने होतो तो बे मुतके नोट कां से आते? औ जो बे गोरी कमाई के होते तो उने बैंक में जमा करो गओ होतो। तुमई कओ, जो हम झूठी बोल रए होंए।’’ भैयाजी बोले।
‘‘सांची कै रए आप भैयाजी! जोई हो रओ। सबई तरफी लूट मची। आप कारी कमाई की छोड़ो औ तनक कानूनी कमाई खों हेरो। कैबे खों एक ठईया जीएसटी, मनो पैले जो माल बनात आए ऊको माल बनाबे वारे खों जो कच्चो माल चाऊंने परत बा जीएसटी वारो मिलत आए। फेर ऊने माल बनाओ औ बेचो तो ऊपे जीएसटी कटी। फेर माल जब खरीदने वारे ने खरीदी तो ऊपे सोई जीएसटी खरीदने वारे खों देनी परत आए। मने एक सामान में तीन-चार जांगा जीएसटी काट लई जात आए। तभईं तो दो सौ की धुतिया आठ सौ में मिलत आए। मने दो सौ के सामान पे छ सौ जीएसटी घल जात आए।’’ मैंने भैयाजी से कई।
‘‘अरे, तुमें तो सब पतो आए।’’ भैयाजी खुस होत भए बोले।
‘‘हमें बी पैले ने पतो रओ। बा तो एक दिनां एक भैया साब से बात हो रई ती सो उन्ने मोय समझाओ जे जीएसटी को खेल। उने बाजार को भौत ग्यान आए। बे श्ेायर सोई लेत रैत आएं।’’ मैंने बताई।
‘‘सई में, सरकार से जे नईं होत के तनक टैक्स कम कर देवैं, तनक मैंगाई कम कर देवैं। मैंगाई में तो आगी सी छुबी परी, मनो कोऊ देखबो-सुनबो वारो नइयां।’’ भौजी बोलीं।
‘‘आज के समै में कोनऊं की कोऊ खों नई परी, भौजी। जोन को पेट भरो आए, ऊको भूखे हरें नईं दिखात।’’ मैंने भौजी से कई।
‘‘हऔ बिन्ना! बाकी मोय तो तब लौं चैन ने परने जब लौं कोऊ साजे नोटों की ढेरी को वीडियो देखबे खों ने मिले। जी में कसक बनी रैहे।’’ भौजी बोलीं।
‘‘ऐसो आए भौजी के हमाए जान-पैचान में कोनऊं स्टिंग आॅपरेशन वारो नइयां ने तो मैं आपकी जे इच्छा पूरी करा देती। बाकी गम्म खाओ, कभऊं ने कभऊं आपकी जे इच्छा पूरी हो जैहे।’’ मैंने भौजी खों सहूरी बंधाई।
बतकाव हती सो बढ़ा गई, हंड़ियां हती सो चढ़ा गई। अब अगले हफ्ता करबी बतकाव, तब लों जुगाली करो जेई की। मनो सोचियो जरूर ई बारे में के एक तरफी लोगन खों दो रोटी मुसकिल से मिलत आए औ दूसरी तरफी कछू के इते नोटों की ढेरी धरी रैत आए, का जे ठीक आए?
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