Thursday, April 18, 2024

बतकाव बिन्ना की | इते तो सबई खतरों के खिलाड़ी बने जा रए | डाॅ (सुश्री) शरद सिंह | बुंदेली कॉलम

बुंदेली कॉलम | बतकाव बिन्ना की | डॉ (सुश्री) शरद सिंह | प्रवीण प्रभात
------------------------
बतकाव बिन्ना की
इते तो सबई खतरों के खिलाड़ी बने  जा रए  
   - डॉ. (सुश्री) शरद सिंह
       हमने देखी के भैयाजी अपने मोबाईल पे कछू जुटे भए हते। इत्ते मगत हते बे के मोरे पौंचबे की उनें खबरई ने भई। मैंने खटर-पटर करी। फेर बी उनको मोबाईल से ध्यान ने हटो। मोए तनक अचरज भई सो मैंने मेज पे धरो स्टील को गिलास तनक धीरे से लुढ़का दओ। बा लुढ़क के मेज से नीचे ‘ठन्न’ से गिरो। सो भैयाजी को ध्यान भंग भओ औ बे खिसिया के बोल परे, ‘‘काय बरतन काय पटक-फोड़ रईं? तुम हमें चैन से कछू ने करन दैहो।’’
‘‘साॅरी भैयाजी!’’ मैंने हाथ जोड़ के कई। सो भैयाजी चौंक परे। बे समझे हते के भौजी ने गिलास पटको आए, उनको मोपे ध्यान नई गओ हतो।
‘‘तुम कबे आईं बिन्ना?’’ उन्ने हड़बड़ा के पूछी।
‘‘अबई आई। औ आतई मोरो हाथ गिलास से टकरा गओ, सो बा नैंचे गिर गओ। अच्छो रओ के ऊंमें पानी नईं रओ, ने तो अबई बगर जातो। भौजी औ परेशान होतीं।’’ मैंने अपनी सफाई दई। बाकी मोय पतो रओ के मैं झूठी सफाई दे रई। गिलास तो मैंने जान के गिराई हती।
‘‘अरे, तुमाई भौजी कछू परेशान ने होतीं, उने तो हमें परेशान करबे से फुर्सत नइयां।’’ भैयाजी हंस के बोले। बाकी उन्ने अपनों मोबाईल बंद ने करो हतो, बस, तनक मोसे छुपा के टेढ़ो कर लओ रओ। अब कोनऊं बात छुपाई जाए तो ऊको जानबे के लाने प्रान कढ़न लगत आएं। सो, मोय भी कुलबुलाहट होन लगी के भैयाजी ऐसो का देख रए हते अपने मोबाईल पे कि गिलास गिरबे को ठनाके पे बी उन्हें जे समझ ने आई के गिलास कोन ने पटको?
‘‘भैयाजी का देख रए हते? कोनऊं रील आए का?’’ मैंने भैयाजी से पूछई लई। काय से के आजकाल रील के नांव की वीडियो क्लिप्स को बड़ो चलन आए। कोनऊं नाच की रैत आए, तो कोनऊं गाबे की, तो कोनऊं हंसी मजाक़ की। हर उमर के लोग अपनी रील बनाउत रैत आएं। हमें शंका भई कि भैयाजी कोनऊं रील देखबे में मगन रै हुइएं।
‘‘नईं रील नई देख रए हते। बस, ऊंसई।’’ भैयाजी ने टालबे को प्रयास करो।
‘‘जे न बताहें तुमें, हम बता रए इनके करम, के जे का रए हते।’’ भौजी भीतरे से बाहरे हम ओरन के पास आ ठाड़ी भईं। उन्ने हम ओरन की बतकाव सुन लई रई।
‘‘का कर रए हते जे?’’ मैंने भौजी से पूछी।
‘‘खतरों के खिलाड़ी बने जा रए जे। घर के काम गए चूला में, इने तो जुआ, सट्टा घांईं खेल खेलने आए।’’ भौजी बमकत भईं बोलीं।
‘‘अरे तुम तो और दे रईं। हम जुआ-सट्टा नोईं खेल रए।’’ भैयाजी हड़बड़ात भए बोले।
‘‘सो का खेल रए? तनक बताओ अपनी बिन्ना खों। जे तै कर हें के जो जे तुम खेल रए, बा का आए।’’ भौजी ने फेर के भैयाजी खों हड़काओ।
‘‘अरे कछू नईं, हम तनक बा गेम खेल रए हते। तुमने सोई उनके विज्ञापन देखे हुइएं। अच्छे बड़े-बड़े खिलाड़ी ऊकी तारीफें करत आएं। ऊमें जीतबो पक्को रैत आए।’’ भैयाजी मिमियात से बोले।
‘‘सो, आपने कछू जीतो?’’ मैंने भैयाजी से पूछी।
‘‘हऔ, पैलीदार दस रुपइया जीत गए सो पिल परे बोई खेल में। हम बता रए, रामधई, अपने हजार-खांड जब लों जे ने मिटा लैहें इनको सहूरी थोड़ई परने।’’ भौजी फटकारत भईं बोलीं।
‘‘कोन टाईप को खेल आए जो? मैंने विज्ञापन तो मनो देखे आएं, पर मोय कछू समझ में ने आई। औ मोय जे सब में परत में डर सोई लगत आए। कऊं ऐसो ने होय के जो है, बा सोई मिट जाए।’’ मैंने कई।
‘‘जेई तो हम इने समझात आएं। पर जे तो कैन लगत आएं के हम तो दस-दस रुपैया को खेल रए। कोन ज्यादा लगा रए। मनो लत लग जैहे तो फेर तो तुम हजार के बी खेलन लगहो। काय है के नईं?’’ भौजी बोलीं।
‘‘सई कई भौजी आपने। बा विज्ञापनों में जा बात कई सोई कई जात आए के सम्हल के खेलियो, ईकी लत लग सकत आए।’’ मैंने कई।
‘‘हऔ तो, जा हिदायत सोई इत्ते जल्दी में बोली जात आए के कैबे को हो जाए के हमने तो हिदायत दई हती, औ कोनऊं खों समझई में ने आए।’’ भौजी बोलीं। फेर कछू सोचत भई कैन लगीं के,‘‘बिन्ना, हमें जे नईं समझ में आउत आए के जोन जे किरकेट पे सट्टा लगवाउत आएं उने तो पुलिस पकर लेत आए, मनो जे किरकेट के बडे-बड़े खिलाड़ी जे पैसाईसा लगाबे वारे खेल खेलबे खों कैत आएं तो उने कछू नई कओ जात? औ बिन्ना, जे सोचो के जे ओरें खुद तो अच्छो वारो खेल खेलत आएं औ पब्लिक खों पईसा लगाबे वारे मोबाईल वारे खेल खेलबे खों उकसात रैत आएं। भला जा का बात भई?’’
‘‘काय से उनको विज्ञापन के पइसा मिलत आएं।’’ मैंने कई।
‘‘इत्तो तो मिलत आए किरकेट खेलबे में। लाखों को बोलियां लगत आएं उन ओरन के लाने औ संगे अच्छे वारे विज्ञापन सोई मिलत आएं। फेर जे ओरें ई टाईप के विज्ञापन काय करत आएं?’’ भौजी पूछन लगीं।
‘‘अब अपन ओरें का कैं? बड़े लोगन की बड़ी बातें।’’ मैंने सोई टालबे को प्रयास करो।
‘‘नईं, मने ऐसो करो नईं जाओ चाइए।’’ भौजी बोलीं।
‘‘ऐसो आए भौजी, के जब उने खुदई नईं कछू लग रओ औ ने सरकारें ऐसे खेलन खों रोक रई तो कोऊ औ का कर सकत आए?’’ मैंने कई।
‘‘अरे सरकारों की ने कओ! उने तो कलारी नईं दिखात के कां पेे ठेका दे दओ। सड़क के ई तरफी मंदिर तो ऊ तरफी कलारी। सामने बैंक, बाजू में खिलाड़ियन को खेल को मैदान, पासई में स्कूलें औ चल रई कलारी। बा तो बे दारूखोंरों की ईमानदारी कई जाए के कछू गड़बड़ नईं करत।’’ भौजी बोलीं।
‘‘बे का गड़बड़ करहें। कछू डोलत-डोलत अपने घरे चले जात आएं, तो कछू उतई रोड के किनारे डरे रैत आएं।’’ अब के भैयाजी बोले। फेेर बतान लगे के,‘‘एक दिनां हम कटरा बाजार से आ रए हते। एक पैचान वारे मिल गए तो तनक देर हो गई रई। फेर बी मनो रात के नौ बजे रए हुइएं। उते खेल परिसर की बाजू वारी कलारी से दो लड़का निकरे। उन्ने मोटर सायकिल उठाई औ लहरात भए चलान लगे। हमें समझ में आ गई के जे तो कऊं ने कऊं एक्सीडेंट करई के रुकहें। सो हमने अपनी गाड़ी धीमी कर के उनके पांछू राखी। बे पीली कोठी की घटिया लौं पौंचें औ उनको बैलेंस बिगरो, सो दोई गिरे उतई औ उनकी मोटरसायकिल रपट के फिंकाई, बा तो जे कओ के कोनऊं खों घली नईं, नईं तो बा तो निपटई जातो। हम औ दो-चार जने औ रुक गए। एक ने पास जा के देखी औ बोलो के इने हाथ ने लगाओ दोई टुन्न आएं। कऊं मर-मुरा गए तो सल्ल बींध जैहे। तभई कोऊ ने 100 नंबर पे डायल कर दओ, सो उतई सिविल लाईन से दो पुलिस वारे आ गए। सो हम उते से कढ़ आए। मनो जे तो उते को रोज को नाटक आए।’’
‘‘उनको नाटक तो आपने बड़े अच्छे से सुना दओ, औ अपने नाटक के बारे में का कर रए?’’ भौजी भैयाजी के खेल खों भूली ने हतीं।
‘‘अच्छा, अब बस बी करो। अब ने खेलबी।’’ भैयाजी हथियार डारत भए बोले।
‘‘सच्ची?’’ भौजी ने पूछी।
‘‘रामधई!’’ भैयाजी ने तुरतईं कसम खा लई।
‘‘ठीक! सो बिन्ना ऐसो करो, के तुमसे तो बनत आए, तुम इनके मोबाईल से बा खेल वारो एप्प डिलीट कर देओ। हमें इनकी बातन पे भरोसो नईयां।’’ भौजी भैयाजी को मोबाईल मोय पकरात भई बोलीं।
भैयाजी ने सोई चुपचाप मोबाईल को लाॅक खोल दओ। मैंने एप्प डिलीट कर दओ। ऊ टेम पे भैयाजी को मों देखतई बन रओ हतो। मनों जी पे पथरा रख के डिलीट करा रए होंए।
जे टाईप के खेल के तो मनो आजकाल सबई खतरों के खिलाड़ी बने जा रए। जोखिम की उने कोई फिकर नइयां। मनो भौजी जैसीं सबई लुगाइयां हड़कान लगें तो जे सबरे खिलाड़ी एकई दिनां में खेलबो भूल जाएं। बाकी बतकाव हती सो बढ़ा गई, हंड़ियां हती सो चढ़ा गई। अब अगले हफ्ता करबी बतकाव, तब लों जुगाली करो जेई की।
 -----------------------------   
#बतकावबिन्नाकी  #डॉसुश्रीशरदसिंह  #बुंदेली #batkavbinnaki  #bundeli  #DrMissSharadSingh #बुंदेलीकॉलम  #bundelicolumn #प्रवीणप्रभात #praveenprabhat

No comments:

Post a Comment